Monday, 30 March 2020

आइए संयुक्त होकर अपनों को बचाएं

 बांसी,सिद्धार्थनगर। जनपद के सभी वर्ग के लोग एक मंच पर आए और सब जान की परवाह किए बगैर अपनी जान पर खेलकर गरीब जनता के लिए भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। जो लोग बाहर से अपने वतन को आ रहे हैं उनके लिए भी जो लोग सड़क के किनारे पैदल चलते मिल रहे उनके लिए भी इन लोगों ने मोटरसाइकिल से सड़क के किनारे जितने लोग मिल रहे हैं उनसे एक यह बात पूछ रहे हैं आप लोग भोजन कर लीजिए। इसमें जनपदों विभिन्न सहित कई  समाजसेवी भी हैं। कोरोना
 नामक भयंकर महामारी ने हमें एक बात अच्छी तरह से याद दिला दी की जब भूख मौत और मुसीबत बन जाए तो कोई हिंदू मुसलमान सिख ईसाई नहीं मंदिर मस्जिद और शमशान कब्रिस्तान नजर नहीं आता है। यह सारा झगड़ा तो पेट भरे का है
मुसीबत में तो इंसान को सब इंसान ही नजर आते हैं अब एक दूसरे की मदद करते समय किसी को किसी से किसी की जाति धर्म नहीं पूछ रहा है जैसे भी  जो बन पा रहा है सब एक दूसरे की मदद करने के लिए तैयार हैं। कहां गए मजहबी नेता और छुआछूत फैलाने वाले लोग इसी तरह हम लोग एक मंच पर बने रहेंगे तो  हमारा हिंदुस्तान कोरोना नामक बीमारी क्या हमारे देशवासियों का क्या बिगाड़ लेगी। ऐसे महामारी से लडने की ताकत हर हिंदुस्तानी रखते हैं।  यह आपसी सौहार्द और भाईचारा हमें सिर्फ मौत और मुसीबत के मंजर के समय ही क्यों याद आते हैं खुशहाली और भरे हुए पेट के समय कभी याद नहीं आता है। जिस दिन से हम इस आपसी सौहार्द और भाईचारे की खुशहाली और भरे पेट के समय अपना लेंगे तो इस तरह की मुसीबतों से जंग जीतना बहुत आसान हो जाएगा बल्कि जीवन में मुसीबतें आएंगी ही नहीं। जब जब हम सब लोग जाति धर्म के नाम पर लड़े हैं उस वक्त अलग-थलग पड़े है। जगत के स्वामी ईश्वर अल्लाह कुछ ना कुछ ऐसी तबाही लाई है कि हम सब हिंदू मुसलमान भूल कर एक साथ खड़े हुये हैं। वैसे भी हम सब लोग धर्म हो या विज्ञान आपसी भाईचारा हो या फिर देश का संविधान डर और मजबूरी में मानने के ही आदी हो गए हैं।


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