आगरा। मैं शिल्पा जैन सर्वमंगल के माध्यम से अक्षय तृतीया की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देती हूं आपका जीवन भौतिक और आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर हो सर्व मंगल की ओर से यही कामना करती हूं। अक्षय तृतीया अर्थात वह तिथि जिसकी कभी भी क्षय ना हो। ज्योतिष के अनुसार इस दिन का बहुत ही महत्व माना जाता है। यह एक अबूझ मुहूर्त है। अक्षय तृतीया को आखातीज के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को यह पर्व मनाया जाता है। 2020 में अक्षय तृतीया 26 अप्रैल रविवार के दिन मनाया जाएगा।
तिथि का आरंभ 25 अप्रैल शनिवार सुबह 10:17 से शुरू हो जाएगा और 26 अप्रैल 2020 रविवार को 11:13 सुबह
तक रहेगा। पूजा मुहूर्त 26 तारीख सुबह से8.30 से सुबह 11:00 बजे तक रहेगा।
यह दिन हमारे पुण्य का वर्धन करने वाला होता है आज ही के दिन बद्रीनाथ के कपाट भी खुलते हैं बिहारी जी के चरण का दर्शन से आज ही के दिन कराए जाते हैं। जिनके घर भी दक्षिणावर्ती शंख है आज के दिन इसकी विशेष रूप से पूजा की जाती है। आज के दिन गंगा स्नान का भी अपने आप में बहुत ही महत्व है। वैसे तो किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए किसी भी तिथि का इंतजार नहीं करना चाहिए किसी भी तिथि के दिन किया गया शुभ कार्य उस तिथि को महत्वपूर्ण बना देता है लेकिन शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि आज के दिन किया गया जप, तप, ध्यान, एवं दान का महत्व बहुत ज्यादा है। आज के दिन दान करने से अनंत गुना फल की प्राप्ति होती है इस दिन किए गए जप तप दान अक्षय हो जाते हैं। ज्योतिष में वर्णित है कि आज के दिन कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है शादी गृह प्रवेश किसी भी व्यापार का शुरुआत आज के दिन करना बहुत लाभप्रद होता है। आज के दिन सोना चांदी खरीदना शुभ माना जाता है ऐसा शास्त्रों में वर्णित है। किसी भी मंत्र को सिद्ध करने का आज का दिन सर्वोत्तम है। आज के दिन विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी जी की आराधना की जाती है मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान के 108 नाम का स्मरण करना चाहिए एवं पूजा में खीर एवं तुलसी पत्र जरूर अर्पित करनी चाहिए। दान में आज के दिन पंखा मिष्ठान सत्तू पापड़ हरी सब्जियां , सुराही,एवं वस्त्र देना बहुत लाभकारी होता है। पक्षियों को दाना डालना एवं चीटियों को आटा डालना बहुत ही शुभ कारी होता है। आज के दिन साय काल मां तुलसी के पास जरूर से एक दीपक प्रज्वलित करना चाहिएप्रार्थना करनी चाहिए कि हमारे घर में मां तुलसी की कृपा बनी रहे एवं घर में बरकत बनी रहे। अब मैं कुछ जैन धर्म से जुड़ी बातें बताना चाहती हूं कि जैन धर्म में इस दिन का बहुत ही महत्व माना जाता है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव 13 महीना 11 दिन की अपनी अखंड तपस्या से उठकर आहार लेने के लिए निकले लेकिन नगर वासियों को उन्हें आहार देने की विधि नहीं मालूम होने के कारण उन्हें आहार की प्राप्ति नहीं हो पा रही थी। हस्तिनापुर के राजा सोम यस के पुत्र युवराज श्रेयांश कुमार आदिनाथ भगवान के प्रपौत्र थे वह अपनी खिड़की के पास बैठे हुए थे उन्होंने देखा कि एक बहुत बड़ी संख्या में जनसमूह निकल रहा हैजैसे ही भगवान के ऊपर उनकी नजर पड़ी उनको लगा कि उन्होंने इस साधु को कहीं देखा है परमात्मा के प्रभाव से श्रेयांश कुमार को अवधी ज्ञान हुआ जिसमें उन्होंने जाना है या मेरे पूर्व भव के साथी रहे हुए हैं और उनको देखते देखते या ज्ञात हुआ कि यह यह आहार के लिए घूम रहे हैं उन्हें अपने बीच से 8भव याद आ गए वह महल से नीचे उतरे ।महल से नीचे उतरने के बाद उन्होंने देखा कि प्रासूक आहार यानी साधु को देने लायक आहार क्या है तब उन्होंने देखा के गन्ने के रस आए हुए हैं क्योंकि वैशाख के महीने में गन्ने की खेती बहुत अच्छी होती है गन्ने का रस 48 मिनट तक सचित रहता है और दो पहर के बाद वापस सचित हो जाता है अतः इसे उपयुक्त जानकर उन्होंने भगवान को 108 घडो से उनका पारणा कराया। परमात्मा ने दोनों अपने हाथ आगे कर दिए पानी नामक लब्धि के धारक होते हैं अर्थात उनके पास कोई पात्र नहीं होता है वह दोनों हाथों से ही खाद्य सामग्री लेते हैं यहां एक बात समझने की है कि गन्ने का रस उन्होंने अपने दोनों हाथों से लिया और एक बूंद भी जमीन में नहीं टपका क्योंकि पाणी नामक लब्धि के धारक हैजैसा मैंने बताया इसका मतलब है कि अगर समुद्र भी उनके दोनों हाथों में आ जाता तो नीचे एक बूंद भी नहीं सकता यह हमारे तीर्थंकरों की विशेषता होती है तथा उन्होंने आज के दिन ही 13 वर्ष 11 दिन के बाद इक्षु रस यानी गन्ने के रस से पारणा किया था इसीलिए इस तिथि को जैन धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है।
वैष्णो धर्म और जैन धर्म में स्थिति की महत्ता बताई ज्योतिष कारण अगर हम देखें सूर्य जो पिता का कारक है और चंद्रमा माता का कारक है कुछ भी हो जाए माता-पिता का क्षय नहीं होता होता है और सूर्य और चंद्रमा कभी वक्री नहीं होते हैं।सूर्य जो कि अभी अपनी उच्च राशि मेष में 14 डिग्री का है और चंद्रमा भी आज के दिन अपनी वृषभ राशि यानी कि उसकी उच्च की राशि में 19 डिग्री का रहते हैं यह दोनों अपनी उच्चतम स्थिति में रहते हैं और इन दोनों ही ग्रह का कभी छह नहीं होता इसलिए इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। भारत कृषि प्रधान देश है इस समय खाद्यान्न काफी मात्रा में पक कर आता है लोगों के पास बहुत पूंजी होती है किसान बहुत खुश होते हैं इसीलिए लोग इस त्यौहार को रूप में मनाते हैं इस दिन कुबेर की पूजा जरूर करनी चाहिए
आज के दिन इसीलिए हम जैन परंपरा के लोग इस दिन को बहुत शुभ मानते हैं।आज के दिन आदिनाथ भगवान यानी ऋषभदेव का पूजा और प्रक्षाल अवश्य करना चाहिए एवं अपने घर में गन्ने का रस जरूर लाएं एवं प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें।
लेकिन इस साल लॉक डाउन की वजह से यह पर्व सामूहिक रूप से नहीं बनाया जा सकेगा नाही गंगा स्नान करने लोग जा सकेंगे अतः यह पर्व अपने घर में ही रह कर जप तप और ध्यान एवं दान करके मनाए और अपने पुण्य में वृद्धि करें। अपने घर में चारों दिशाओं में गंगा जल का छिड़काव अवश्य करें ऐसे करने से घर की नेगेटिविटी दूर होती है। सिर्फ सोना खरीदना या सामान खरीदना ही इस दिन का उद्देश्य ना बनाएं बल्कि ज्यादा से ज्यादा दान की भावना अपने मन के अंदर रखें। दान धर्म की पूर्णता और उसका श्रृंगार है दान देना ही आमदनी का एकमात्र द्वार है। दान हमें हमेशा सत्कार पूर्वक स्व हस्त और मन से देना चाहिए।ऐसा कहा गया है कि प्रार्थना ईश्वर की तरफ आधे रास्ते तक ले जाती है उपवास हमको उसके महल के द्वार तक पहुंचा देती है और दान से हम उसके अंदर प्रवेश कर जाते हैं इसीलिए प्रसन्न चित्त से दिया गया थोड़ा दान भी थोड़ा नहीं होता है उसका पुण्य बहुत अधिक होता है।
तुलसीदास जी की एक बहुत अच्छी कहावत है-
तुलसी पंछी के पिए
घटे न सरिता नीर
दान दिए धन ना घटे
जो सहाय रघुवीर
अर्थात दान देने से हमारे कोष में कभी भी कमी नहीं रहेगी निरंतर वृद्धि रहेगी ।
दान देने की भावना का मन में आना पूर्व जन्म की पुण्याई का ही फल होता है। और आज की परिस्थिति को अगर हम देखें तो हमारे देश में इसकी बहुत जरूरत है अतः आप सब से यह निवेदन है इस अक्षय तृतीया को दान देकरअक्षय बना दे। खरीदारी तो हम हर अक्षय तृतीया के दिन करते हैं अपनी जरूरतों की पूर्ति तो सभी करते हैं लेकिन जो दूसरों की जरूरतों की पूर्ति करते हैं उनकी झोली दुआओं से भर जाती है
इसी के साथ मैं आपको अक्षय तृतीया की बहुत-बहुत बधाई देती हूं और आशा करती हूं कि आज के दिन आप सामर्थ के अनुसार दान देकर अपने इस दिन को पावन बना देंगे।
शिल्पा जैन
ज्योतिष विशारद
ज्योतिष धनवंतरी
ज्योतिष प्रज्ञा
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