Thursday, 2 April 2020

व्यापारी - तेरा दर्द न समझे कोई!

प्रारम्भ से देखता आ रहा हू कि हमारे देश में व्यापारी वर्ग को उचित सम्मान नहीं मिलता बल्कि उसको हेय दृष्टि से देखा जाता है। बस एक ही बात से सम्मान किया जाता है कि ‘करचोर’ है या फिर व्यापारी अतना कमाता है है क्यों नहीं सहयोग करेगा, इतना चंदा देगा!
  मैं आज कुछ प्रश्न करना चाहता हूं इन सभी से! कभी सोचा कि एक व्यापारी देश,समाज के लिए कितना करता है? कल्पना करंे कि जब एक व्यापारी देश के पिछड़े क्षेत्र में एक उद्योग स्थापित करता है तो उस क्षेत्र की कितना विकास हो जाता है? उस एक उद्योग कितने लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार देकर कितने परिवारों को पालने का काम करता है? कभी सोचा कि वह उद्योग के उत्पादों से कितना प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष टैक्स के रुप में राजस्व सरकार को देता है? और अपने उद्योग के कार्यरत कर्मचारियों के माध्यम से सरकार को कितना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष के रुप में टैक्स देता है। कभी सोचा कि वह एक उद्योग के माध्यम से कितने ऐसे कार्य को अंजाम देता है जिससे जनसाधारण को सुविधा प्राप्त होती है। जैसे जब एक उद्योग स्थापित होता है तो उसमे प्रत्यक्ष रुप से केवल 10 हजार लोगों को रोजगार देता है परन्तु अप्रत्यक्ष रुप से लगभग 1 लाख लोगों को रोजगार दे देता है। चाहे वह रोजगार उस उत्पाद को बेचने से मिल जाता है अथवा उन कर्मचारियों को सुविधा देने वाले चिकित्सा, नगर विकास, सुख-सुविधा आदि की व्यवस्था के लिए रोजगार देता है। कभी सोचा कि उस उद्योग के उत्पाद को बेचने पर लगने वाला टैक्स के निर्धारण के लिए राजस्व विभाग के प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष कर के कार्यालय खुलने पर सरकार के कितने लोगों को रोजगार दे देता है! बड़े उद्योग को छोड़ दंे और छोटे दुकान को ही ले लें तो आप स्वयं की आंकलन कर लेंगे कि एक छोटी सी दुकान भी कितने लोग को रोजगार दे देती है?
  और जब कभी देश में प्राकृतिक आपदा हो जाती है और राष्ट्र में संकट की स्थिति पैदा हो जाती है, वही उद्योगपति या मध्यम या छोटा व्यापारी खुलकर सरकार को योगदान देकर उस संकट से बचाने और सुविधा देने के लिए सरकार के साथ खड़ा हो जाता है। यहां पर कहेंगे कि सरकारी अधिकारी एवं बाबू भी योगदान करते हैं चाहे वह एक दिन के वेतन का योगदान देकर। मैं यहां पर इस योगदान को तुच्छ नहीं कहंूगा क्योंकि छोटा हो या बड़ा, प्रत्येक योगदान राष्ट्र के संकट का टालने और राष्ट्र को संकट से उबारने के भारी योगदान देता है लेकिन मैं यह अवश्य ही कहना चाहता हंू कि उद्योगपति हो या छोटा व्यापारी, उसके योगदान को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए।
 अब बात कहना चाहता हूं कि संकट के समय सरकार द्वारा दिये जाने वाली सुविधाओं के बारे में। अभी हाल ही देश में कोरोना वायरस के महामारी का भारी संकट चल रहा है। सरकार ने देश को सुरक्षित करने के लिए लाकडाउन घोषित करते हुए हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने जनता से घर में रहने की अपील की है। इस लाकडाउन के कारण गरीब और संगठीत-असंगठीत क्षेत्र के जनता के सामने रोजी-रोटी और आजिविका का संकट खड़ा हो गया। इस संकट से उबारने के लिए सरकार ने प्रथम चरण में 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। यहां तक सरकार ने उद्योगों को यह भी निर्देश दे दिये कि लाकडाउन के दौरान कर्मचारियों को वेतन के साथ सभी प्रकार के भत्तों को भुगतान समय से उद्योगपति करेगा। निश्चितरुप से यह राहत व सुविधाएं स्वागतयोग्य है और प्रशंसनीय भी। हम कहने में कोई संकोच नहीं करेंगे कि सरकार जनता की तकलीफों के प्रति गंभीर व संवेदनशील और चिंचित है। सरकार ने जीएसटी के रिटर्न के दाखिल करने से भी छूट प्रदान कर दी और लगने वाले ब्याज में भी छूट प्रदान कर दी। 
  सरकार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक की प्रशंसा करना चाहूंगा जिसने संकट के दौरान बैंक द्वारा दिये गये )ण की वसूली को तीन के लिए स्थगित कर दिया। 
  लेकिन सरकार से एक प्रश्न अवश्य ही करना चाहंूगा कि क्या प्रत्येक करदाता व्यापारी, इस लाकडाउन के दौरान और लाॅकडाउन खुलने के बाद सामने आने वाले संकट का सामना करने में समर्थ है या होगा? क्या सरकार ने आंकलन किया है इस संकट से निकलने के बाद देश के बाजार कितनी मंदी में चला जाएगा? संकट से उबरने के बाद बाजार और व्यापारी नगदी की किल्लत से कैसे निबटेगा? क्या जीएसटी के रिटर्न के दाखिल करने से भी छूट प्रदान करने और लगने वाले ब्याज और लेटफीस में भी छूट प्रदान करने से व्यापारी को राहत मिल जाएगी? क्या तीन की बैंक लोन की किस्तें स्थगित करने से राहत मिल सकेगी? वह उस दौरान का ब्याज, लेटफीस के साथ बैंक की 3 किस्तों को एकसाथ कैसे चुकाएगा? क्योंकि व्यवस्था के अनुसार यदि किस्ते तीन माह के बाद नहीं चुकायी गई तो मिलने वाली ब्याज की सुविधा समाप्त हो जाएगी? तो इसको राहत कहें या....? क्योंकि व्यापारी के सामने एक चिंता यह भी खड़ी हो गयी कि तीन माह में अपने कर्मचारियों को वेतन, उत्पाद के कच्चे माल के लिए नगदी, बैंक की किस्तों का भुगतान कैसे करेगा? यहां तक देश के निर्यातकों के सामने सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है कि विदेशों से आने वाले आर्डर कैंसिल हो गये हैं, वहां से भुगतान प्राप्त नहीं हो रहे हैं क्योंकि बहुत से देशों में महामारी के चलते भारी तबाही का मंजर सामने है। कैसे संवरेगा यह संकट? कैसे निबटेगा हमारे देश का व्यापारी इस सब संकट से? 
 ऐसे में सरकार से हमारी यही मांग है कि सरकार को अपने कमाऊपूत व्यापारी के प्रति भी संवदेनशील होना चाहिए। उसको भी संकट से उबारने के लिए कोई विशेष पैकेज लाना चाहिए। विशेष पैकेज में जीएसटी के अन्तर्गत पंजीकृत डीलर्स को सरकार बिना ब्याज के डीलर्स के वार्षिक टर्नओवर अधिकतम 25 प्रतिशत तक का बिना ब्याज के )ण 24 माह से 60 माह तक उपलब्ध कराना चाहिए। जहां तक ऐसे )ण की गांरटी की प्रश्न है,चूंकि वह पंजीकृत डीलर है तो सरकार के पास स्वतः ही गांरटी है। इस प्रकार के )ण की सुविधा से व्यापारी को कच्चे माल के साथ व्यापार में नगदी की कमी का अुनभव नहीं होगा और वह आसानी से व्यापारी करते हुए और अधिक टैक्स के रुप में राजस्व देने में सक्षम होगा। इस प्रकार की राहत के पैकेज से अल्प समय में भारत का व्यापार मंदी और नगदी के संकट से बाहर आ सकता है।
 ऐसे में ‘कर जानकारी’ सरकार से मांग करता है कि सरकार देश के व्यापार-उद्योगों के भविष्य को संवारने के साथ वर्तमान में कुछ ऐसे राहत पैकेज की घोषणा करे जिससे सेमी-माइक्रो, एमएसएमई सेक्टर को राहत मिलें और वह चिंता मुक्त होकर फिर से देश को योगदान करें।
                                                         -पराग सिंहल 
                               प्रबंध संपादक, कर जानकारी, आगरा


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