Friday, 29 May 2020

असली नकली का फर्क समझे बगैर दुकानों पर उमड़े किसान,सरकारी सीड्स पर दलालों का बोलबाला

बांसी ।धान के लिए नर्सरी का समय शुरू हो गया है।काफी बड़े पैमाने पर बीज की मांग को देखते हुए नामी गिरामी कंपनियां उतर आई है।नीले पीले आदि कई कलर में प्रतिबंधित प्लास्टिक के थैले में अलग-अलग वजन के थैले हर चौराहे पर उपलब्ध हो गये हैं। किसान भी असली नकली का फर्क समझे बिना दुकानदारों से सलाह लेकर धान का बीज खरीद रहा है।उधर कृषि विभाग द्वारा संचालित दुकानों पर दलालों का बोलबाला चल रहा है। धान का कटोरा माने जाने वाले तराई क्षेत्र में इन दिनों चौराहे चौराहे पर बीज के भण्डार खुल जाते हैं। तमिलनाडु, उड़ीसा महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों का थैले पर छपा छपाया धान आश्चर्य जनक उत्पादन का भरोसा दिलाते हुए मनमानी दामों पर दुकानों पर पहुंच गया है।35 रूपये से लेकर 350 रूपये प्रति किलो बिकने वाले धानो में दुकानदारों को अच्छी कमीशन के साथ जबरर्दस्त आफर भी मिलता है।इन दुकानों के लिए न तो जिला पंचायत के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता है और न ही जांच वगैरह की मगजमारी की आवश्यकता है।किसान दुकानदारों को जानकार मानकर इनसे सलाह लेकर बीज खरीद रहे हैं।दूसरी तरफ कृषि विभाग द्वारा स्थापित बीज भण्डार पर जा रहे किसान दलालों के चक्कर में फंस जा रहे हैं। बांसी के प्रतापपुर फार्म हाउस में इस समय इन लोगों को खुलेआम अपना काम करते देखा जा सकता है। अपने कार्यों में माहिर ये लोग धान पर मिले छूट पर निगाह गड़ाए रखते हैं इसके साथ ही जुट रहे किसानों से बीज खरीदने में कमीशन का जुगाड भी बना लिया है।बैठे हुए जिम्मेदार भी अपना फायदा देखते हुए मौन रहते हैं।सोशल डिस्टेंसिंग जैसी बातों की कोई परवाह न करते हुए किसानों से बेअंदाज में बातें करना फैशन बना लिए हैं। कुछ जानकारों की मानें तो सुबह से ही कमीशन खोर गोदाम के इर्द गिर्द जमा हो जा रहे हैं फिर उनको छूट का लालच दिखा कर अपने तरीके से बीज खरीदवा रहे हैं।इस बारे में कृषि निदेशक सिद्धार्थ नगर ने बतलाया कि पैकेट पर दाम निर्धारित है किसानों उसी को देखकर खरीद रहा है।फिर अगले दिन वो पैसा बैंक में के जमा हो जाता है यहां दलाली करने का चांस कहां है। हमारे किसी केंद्र पर ऐसा कोई काम नहीं हो रहा है। लोगों की भीड़ अफवाह उड़ा देती है।


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