Friday, 29 May 2020

राज किरण चौधरी अधिवक्ता हाईकोर्ट इलाहाबाद, प्रयागराज लोगों को कानून के बारे में कर रहे जागरूक

 खलीलाबाद,संत कबीर नगर। जहां शासन प्रसाशन समेत न्यायालय का उद्देश्य आम जनमानस तक कानून की जानकारी देने पर जोर दिया जा रहा है वहीं राज किरण चौधरी अधिवक्ता हाईकोर्ट इलाहाबाद, प्रयागराज जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर यू.पी.-6192/2015 निवासी ग्राम-मानपुर, पोस्ट-महादेव बुजुर्ग,थाना-ढेबरूआ, जिला-सिद्वार्थनगर , दूरभाष नम्बर-9450760057,9198491313 पर गरीब व असहाय वह पीड़ित व्यक्ति सलाह लें सकते हैं तथा अधिवक्ता चौधरी ने कहा कि इस बदली दुनिया में हमें जागरूक होना बहुत ही जरूरी है नहीं तो हम कुचल दिए जाएंगे हर नागरिक को अपने अधिकार और कर्तव्य को भली - भांति जानना चाहिए मै इसी तरह की जानकारी देने के लिए यूट्यूब पे अपना एक चैनल बनाया हू ( Law Fighter ) जिसका उद्देश्य सबको कानून के बारे में जानकारी देने का है मैं आप सभी को बता दू की भारतीय संविधान के भाग तीन मूलभूत अधिकार के बारे में बताता है इसमें १२-३५ तक अनुच्छेद अधिकार का ज्रिक करता है जिसमें से मै आपको सभी को एक अधिकार के बारे में बता दू क्योंकि यह जानना सभी के लिए जरूरी है अनुच्छेद २० - अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण के बारे में बताता है (1) इसका अर्थ ये हुआ कि कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए तब तक सिद्धदोष नहीं ठहराया जाएगा ऎसा कोई कार्य करते समय जो अपराध के रूप में आरोपित है किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया है या उससे अधिक शास्ति का भागी नहीं होगा जो उस अपराध के किए जाने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन अधिरोपित की जा सकती थी (२) किसी व्यक्ति को एक अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जाएगा (३) किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा ।अनुच्छेद अधिकार का ज्रिक करता है जिसमें से मै आप सभी को एक अधिकार के बारे में बता दू क्योंकि यह जानना सभी के लिए जरूरी है अनुच्छेद २२- कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण - (१) किसी व्यक्ति को जो गिरफ्तार किया गया है, ऎसि गिरफ्तारी के कारणों से यथाशिघ्र अवगत कराए बिना अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा या अपने रुचि विधि व्यवसायी से परामर्श करने और प्रतिरक्षा कराने के अधिकार से बंचित नहीं रखा जाएग,(२) प्रतेक व्यक्ति को जो गिरफ्तार किया गया है और अभिरक्षा में निरुद्ध रखा गया है गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक यात्रा के आवश्यक समय को छोड़कर ऐसी गिरफ्तारी से चौबीस घंटे की अवधि में निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा और ऎसे किसी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के प्राधिकार के बिना उक्त अवधि से अधिक अवधि के लिए नहीं अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा।


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