Tuesday, 23 June 2020

अनियोजित विकास से डूबने के कगार पर गांव के खेत

 सिद्धार्थनगर। जिले के प्रत्येक ब्लॉक मे हो रहे विकास कार्यों का दुष्परिणाम गांव की जनता भोगने को विवश है। मनरेगा के तहत चक मार्ग तो बहुत बड़े-बड़े बना दिए गए परंतु जल निकास की समुचित व्यवस्था ना होने के कारण खेत डूबने के कगार पर हैं। बन रहे मनरेगा योजना के तहत मार्गों पर पुल की संख्या पूछने पर जिम्मेदार बगल झांकने लगते हैं। दबंगों ने पुराने पुल को पाटकर कई जगह जल निकास के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है। राजस्व विभाग से ग्रामीणों के खेतों की निगरानी को रखे गए जिम्मेदार वसूली में मस्त हैं। प्रधान और ग्राम सचिव मनरेगा के तहत चकमार्क बनाकर अपना अपना हिस्सा लेकर बैठ गए हैं । जल निकासी की समस्या एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है। आए दिन थाने पर हो रही शिकायतों में जल निकास की समस्या प्रमुख है। इसमें ग्रामीणों के घरो से लेकर खेतों में जल निकास शामिल है। कभी कभी यह झगड़ा खूनी रूप लेकर सामने आ रहा है । लेखपाल और भूनिरीक्षक का मतलब कमाई से रह गया है समस्याओं को सुलझाने के लिए नहीं है।मनबढो ने कई जगह गड्ढों को पाट रखा है। इसमें कानूनी कमी का फायदा लगातार उठाया जाता है।अगर किसी ने इन दबंगों के खिलाफ आगे बढ़ने की कोशिश की तो पहले उसे दबाया जाता है। फिर अतिक्रमणकारी के विरुद्ध 15 सी का मुकदमा लिख कर कोरम पूरा कर लिया जाता है।जिसका फैसला आने में 03 जन्म लग जाता है इस बीच दबंगों का हौसला और बढ़ता जाता है। दूसरी तरफ गांवों में विकास का मानक बना मनरेगा के अंतर्गत पटने वाले मार्गों की है । कितने स्थान पर ह्यूम पाइप लगने हैं न तो जेई को पता है न ही प्रधान समझ रहे हैं । अदूरदर्शी सोंच आने वाले दिनों में स्थिति और बिगाड़ने का काम करेगी ।चक मार्गों से निकलने वाले नाली काश्तकारों ने खेत में मिला रखा है । गांवो में जल निकास की व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है ।और जिम्मेदार अपनी अवैध कमाई में मस्त हैं।


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