Wednesday, 24 June 2020

पंचायती राज - म्यान से निकल रही जंग लगी तलवारें , आरक्षण मे उलझे घोड़े

सिद्धार्थ नगर । हलांकि अभी राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव के लिए हरी झंडी नहीं दिखाई है फिर भी गावों के गलियों, चौराहों,और चौपालों पर प्रधान पद के लिए चर्चा जोरों पर है। इस बीच मे आरक्षण नाम के सरपट भागते घोडे मे सभी तथाकथित प्रत्याशियों के उम्मीद उलझ जा रहे है। जिले मे लगभग 1200 ग्राम पंचायतों के लिए नये प्रधान चुनना है। कुछ समाचार पत्रों की खबरों को पढकर बरसाती मेढक की तरह प्रत्येक ग्राम सभा मे प्रत्याशी मिट्टी के लाल बनकर निकल आए हैं। अकेले नही बल्कि कोरोना महामारी से लडने के लिए उपकरणों को लेकर उतर पडे हैं।इन प्रधानों की महिमा भी निराली है, पिछले विधायकी चुनाव मे ठीका पा चुके प्रधान जी के चलते राज्य सरकार बदल गई थी । गावों मे जातीय समीकरण के साथ पुराने संबधो की दुहाई देना शुरू हो गई है।वहीं आदम काल की दुश्मनी भी भुनाई जा रही है।मंदिरो मे घंटे और प्रसाद चढाने की प्रकृया तेज हो गई हैं।दानी व्यक्तियों की सूची बढ गई है। साम दाम दण्ड भेद नाम के पांसे चले जा रहे है।कहीं कहीं गुटो मे बटकर कलाई की ताकत दिखाने के फेर मे थाने तक बात पहुंच रहे हैं।मुर्गे और मछलियों की तलाश जोरों पर है वैसे भी कहावत है कि जीते कोई कटेंगे मुर्गे ही ।राजनैतिक पार्टियां भी इस अवसर को भुनाने मे पीछे नहीं रहती हैं।वैसे भी प्रधानी जीतने के बाद विधायक जी के बैठकी मे सीट आरक्षित होने की गारंटी है । मिल रहे बेहिसाब धन और सुरक्षा दे रहा संविधान का अनुच्छेद बडे बडे खिलाड़ियों को प्रधानी के तरफ आकर्षित कर रहा है। दर्जनो की संख्या मे अवतरित हो चुके प्रधानों का कहना है कि अगर सीट मेरे मुताबिक आया तो मैं ही जीतूंगा।इस बीच मे ब्लाक से लेकर जिले तक सीट बदलवाने के नाम पर कमाई शुरू हो जाती है। सबसे ज्यादा होड सामान्य सीट के लिए होता है।पहले से लुत्फ उठा चुके प्रधान जी किसी भी कीमत पर सीट छोडऩे को तैयार नहीं होते हैं। गांव का चुनाव भी आखें खोलने वाला होता है ज्यादातर प्रत्याशी को 30 प्रतिशत से अधिक मत नही मिलता है फिर भी सांसद और विधायक प्रधानों के आगे नतमस्तक रहते हैं।नये चुने गए प्रधानों को देखते ही ब्लाक पर बैठे हुए ब्यूरोक्रेसी की बांछें खिल जाती है ।कहने को प्रतिनिधि होते हैं और सारा काम सचिव जेई और बीडीओ करते हैं। सारा सिस्टम आटोमेटिक हो गया है सिर्फ गाँव के गरीब को छोडकर जिसे अभी भी विश्वास है कि प्रधान जी जीतेंगे तो उसके जीवन मे सुधार आ जाएगा ।


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