Sunday, 21 June 2020

योग के स्वरूप को पहचानें - मुकेश धर द्विवेदी

सिद्धार्थ नगर । आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है । अपने प्राचीन परम्परा को संपूर्ण दुनिया ने माना है । आज जबकि पूरा मानवीय समुदाय एक अदृश्य वायरस से संघर्ष कर रहा है तब विशेषज्ञों की टीम शरीर में कम्युनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की बात कर रहा है।जो कि शरीर के तंत्र को विकसित करके ही बढ़ाया जा सकता है। योग करने से पहले उसके बारीकियों को समझना नितांत आवश्यक है ।योग अष्टांग धारी है। इसमें यम,नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधि का संयुक्त उत्कर्म करके योग में पारांगत हुआ जाता है। इसमें प्रथम है यम जिसका अर्थ संकल्प से है।इस संकल्प में अहिंसा ,शरीर भोजन ,रहन ,सहन की पवित्रता बनाए रखने पर बल दिया जाता है।दूसरा नियम है जिसमें समय और कर्तव्य की प्रतिबद्धता होती है फिर आसन है ।योग मात्र आसन नहीं है। योग के बारे में योगीराज श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता के दूसरे अध्याय में कहा है कि सिद्ध सिद्धयो समो भूत्वा समत्व योग उच्चते ।जो सिद्ध और असिद्ध में समान स्थित धारण किए हुए को योग कहा जाता है ।भारत की सनातन परंपरा ही योग पर आधारित है।कई परंपराएं उसमें नाथ संप्रदाय,नागा संप्रदाय,अद्वैत वादी ,शुद्धाद्वैत,सांख्यवादी , भक्तिमार्गी,मीमांसा वादी, वेदांत समर्थक सबका केन्द्र योग ही है । अपने देश की सीमाओं को लांघकर मनीषियों ने योग के माध्यम से विश्व के कई देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया है । इसमें गौतमबुद्ध और महावीर स्वामी का नाम प्रमुख है ।बिना किसी को प्रभावित किए चीन जैसे कई देशों में योग के बल पर सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाकर अपना विचारधारा बढ़ाया । आचार्य रजनीश जिसने पूरी पश्चिमी सभ्यता को योग के बल पर हिला दिया था ।एक बार फिर भारत के साथ शेष विश्व कोरोना वायरस जैसे महामारी के जाल में उलझा नजर आ रहा है तब चिकित्सा जगत लोगों से अपनी प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने की बात कह रहा है। इसको कहा जाता है मृग तृष्णा , सुगंध तो मृग के पास मौजूद होता है परंतु उसी के तलाश में वो जंगल जंगल भटकता है । प्राचीन भारतीय सभ्यता जिसमें सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामया का उपदेश और कर्त्तव्य की घुट्टी पिलाई जाती थी जिससे जीव समाज ही सुरक्षित था उसकी आवश्यकता है। योग मात्र एक दिन आसन करने का लक्ष्य न बनाकर इसके सभी अवयवों को जीवन में उतार कर समाज रुपी वृक्ष को सिंचित करने की आवश्यकता है।भारत सरकार की पहल पर पूरे दुनिया ने इसे हाथों हाथ ले लिया है । खाड़ी देशों से लेकर यूरोपीय और अफ्रीकन देशों के साथ पूरे एशिया में इसके व्यापक असर को देखते हुए आज मनाया जा रहा है ।इसके सर्वव्यापी गुणों पर शुभकामनाओं के साथ जिले के सभी जागरूक नागरिकों को बहुत- बहुत शुभकामनाएं।


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