Wednesday, 25 November 2020

दूसरे प्रांतो को चलने वाली बसों के स्टाफ नहीं हो रहे क्वारेंटाइन


सिद्धार्थनगरः कोरोना वाइरस का असर दुबारा शुरू होने का अंदेशा दिखाई पड रहा है। प्रयाप्त रूप से सुरक्षा के लिए दौड भाग शुरू हो गई है।जिलाधिकारी ने दूसरे प्रांतो से आने वालों के लिए क्वारेंटाइन मे रहने का निर्देश जारी कर दिया है।निचले स्तर तक कर्मियों को हिदायत दी जा चुकी है बावजूद दर्जनों की संख्या मे दूसरे प्रांतो को जाने वाली सवारी बसों के स्टाफ नियमों से ऊपर हैं।इनके लिए न नियम है और न ही कायदा। इस लाक डाउन के भयानक आपदा मे मनमुताबिक रूपए कमाने वाले बसों के मालिकों ने सुरक्षित रहने का रास्ता निकाल लिया है। टूरिस्ट परमिट के नाम पर बसों का लाइसेंस पाए बस मालिको ने तुरंत दिल्ली,मुंबई, पूना सहित अन्य प्रातों मे जाने के लिए सवारी के रूप मे उतार दिए हैं।वापस घर आए श्रमिकों को ले जाने का जबर्दस्त किराया और ठूंस-ठूंस कर भरने के बाद ले जाने का सिलसिला अनवरत जारी है। हल्लौर,बैदौला,इटवा,बांसी , चेतिया जिगिनिहवा,शोहरतगढ़, लोटन,बढनी, खेसरहा मे आफिस भी खुलकर टिकट मिलना काफी दिनों से जारी है।यहां न कोई कोविड-19का खतरा है और न ही शोसल डिस्टेंसिग जैसी कोई प्रकृया चल रही है।श्रमिकों के शोषण से निकले धन रूपी बहाव मे सारे कायदे नेपथ्य मे चले गए हैं।इस बहाव मे काफी लोग स्नान कर रहे हैं। काश्तकार की खेंतो की तरह अपना फेन्डामेंटल राइट मानकर वर्षों से जम चुके आरटीओ विभाग के अधिकारी भी इस मामले मे उदासीन हो चुके हैं।स्थिति ये है कि खटारा बसों सहित कई दूसरे जिलों की बसें इस कमाई मे लग चुके हैं।नेपाल सहित तराई इलाकों की लम्बी आबादी परदेश मे रहकर जीने के लिए एडी-चोटी का संघर्ष कर रही है।इस बारे में सीएमओ डा. इंद्र जीत विश्वकर्मा से पूछने पर कि सर दैनिक चलने वाली पूना मुंबई या दिल्ली के बसों के स्टाफ को क्यों नहीं क्वारेंटाइन किया जा रहा है तो उनका कहना था छठ पूजा के बाद जो भी बाहर से आए हैं उनको क्वारेंटाइन किया जा रहा है।इसके लिए डुमरियागंज मे बैरियर भी लगने जा रहा है।रोग बढने न पाए इसके लिए जरूरी एतिहातन कदम उठाया जा रहा है।


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