राकेश दूबे सहसम्पादक
सिद्धार्थनगर। अप्रैल शुरू होते ही गर्मी ने अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया है।तेज पछुवा हवाएं मौजूद नमी को उडा ले जा रही हैं।अगलगी की बात सुनते ही गेहूँ किसानों के चेहरों पर बेबशी का खौफजदा आलम नजर आने लगता है।इस बीच में पानी की किल्लत से लोगों को परेशान होना पडता है।सबसे ज्यादा परेशानी जानवरों को उठाना पडता है।प्यास उन्हे मानव आबादी के करीब आने पर विवश कर देती हैं जहां पर तेज रफ्तार वाहन और कुत्तों की झुंड से वापस जाने की गारंटी नही होती है।इस बीच मे नहरें सूखी पडी हैं तो ताल पोखरों का पानी मछलियों के ठीकेदारों के भेंट चढ चुका है।प्रत्येक वर्ष सरयू नहर मुख्य शाखा सहित कैनालों मे कुछ पानी छोड देता था परन्तु इस वर्ष रबी कालीन नहर को एक दो हफ्ते चलाकर बंद कर दिया है।विथरिया(डुमरियागंज) से चलकर सहिजनवा(गोरखपुर) तक चलने वाली नहर की कई शाखाएं भी हैं।सैंकडों गांवो के लोग आशा भरी निगाहों से नहर को पानी के लिए निहारते रहते हैं।पशु पालकों मे डुमरियागंज क्षेत्र के खोरिया रघुवीर सिंह के निवासी हजारी प्रसाद यादव ने कहा कि बहुत जरूरी है पानी ।अभी मै 04 किलोमीटर दूर गायों को लेकर पानी पिलाने ले जाता हूं।वहीं बांसी क्षेत्र के जींवा निवासी श्रीकांत मिश्रा ने भी पानी छोडे जाने का अनुरोध किया ।इस बारे मे एसडीएम डुमरियागंज त्रिभुवन प्रसाद ने कहा कि मैं नहर विभाग से बात करके पानी छुडवा रहा हूँ
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