माता प्रसाद पाण्डेय, संवाददाता भारत भारी
नगर पंचायत भारत भारी मोतीगंज चौराहे पर चल रहे नव दिवसीय श्रीमद भागवत पुराण कथा ज्ञानयज्ञ में बुधवार पांचवें दिन शाम को अवध धाम से पधारे कथावाचक पंडित रामबहाल शास्त्री ने श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से सभी श्रोताओं को गजेंद्र मोक्ष की कथा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जीव ही गजेंद्र है। त्रिकूट पर्वत अर्थात तीन गुण सत,रज,तय में जीव का मन फसा हुआ है माया ही सरोवर है ग्राह काल का स्वरूप है ग्राह रूपी काल गजेंद्र रूपी जीव को निरंतर माया रूपी सरोवर में खींच रहा है। गजेंद्र रूपी जीव पुत्र,स्त्री,धन आदि को छोड़ना नहीं चाहता परन्तु एक दिन पुत्र,स्त्री,धन सभी गजेंद्र रूपी जीव को छोड़ देते हैं। तब गजेंद्र निराश होकर परमात्मा को पुकारता है और परमात्मा गजेंद्र की रक्षा करते हैं। कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए सप्तम स्कन्ध में प्रहलाद चरित्र के द्वारा बताया कि प्रेम में ऐसी शक्ति है कि पत्थर के स्तम्भ से भगवान को प्रगट कर देती है बावन चरित्र की कथा में बताया कि जब तक भगवान को हम अपना सर्वस्व समर्पित नहीं करेंगे तब तक हमें भक्ति की प्राप्ति नहीं होगी नवम स्कन्ध की कथा सुनाते हुए भगवान राम के चरित्र की कथा का श्रवण कराया शास्त्री जी ने बताया कि राम जी का चरित्र अनुकरणीय है राम जी के चरित्रों का अनुकरण करना चाहिए हमारे जीवन में भक्ति आएगी आगे भागवत दशक स्कन्ध की कथा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रगट होकर दुष्टों का संहार करते हैं। महंत कृष्ण मणिदास यजमान राधेश्याम,अग्रहरि सुशीला अग्रहरि,सावित्री अग्रहरि,अमित अग्रहरि,ईश्वरचन्द्र अग्रहरि,राजकुमार अग्रहरि रजिस्टार,अजय अग्रहरि,विजय अग्रहरि,राजन अग्रहरि,रामसागर कसौधन,प्रतिमा अग्रहरि,नीलम अग्रहरी,बिंदु अग्रहरि,शकुंतला अग्रहरि,भगवान प्रसाद अग्रहरि,उमेश चंद,परमहंस चौरसिया,राकेश मोदनवाल,धनुषधारी कसौधन,पुद्दीलाल आदि श्रद्धालुओं ने कथा का रसपान किया।
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