Sunday, 30 May 2021

परम्परागत काला नमक के अलावा काला नमक किरन सहित कई प्रजातियों के बीज शीघ्र होंगे उपलब्ध-सीपी सिंह,जिला कृषि अधिकारी

 राकेश दूबे सहसम्पादक


सिद्धार्थनगर। धान की नर्सरी के लिए जिले की किसानों ने अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है।चावल का कटोरा माने जाने वाले तराई के बेल्ट मे कभी कालानमक की खुशबू मन मोह लेती थी।राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट के तहत इस जिले को कालानमक धान का उपहार मिला है।इस विषय ज़िला कृषि अधिकारी सी पी सिंह ने काला- नमक के बीज के बारे मे कहा कि परम्परागत काला नमक के अलावा “ काला नमक किरन” सहित कई प्रजातियों के कुछ बीज शीघ्र उपलब्ध होगे। काला नमक की ख़ुशबू तब मिलती है , जब धान में बाली आने के समय ठंडक आ जाय। गर्म वातावरण होने पर ख़ुशबू चावल में सेट नहीं होती है। पहले हथिया नक्षत्र के बाद ठंडक आ जाती थी , परंतु जलवायु- परिवर्तन के कारण जाड़े का मौसम देर से आ रहा है। इसलिए काला नमक की नर्सरी 15 जून को डाले और उसी अनुसार रोपाई करें, तो “ काला नमक” में अच्छी ख़ुशबू मिलेगी और चावल की गुणवत्ता में सुधार होगा। मुझे प्रसन्नता है कि “कालानमक”को सिद्धार्थनगर के लिए “ एक ज़िला, एक उत्पाद” योजना में लाने के लिए मैंने  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से कई बार मिला और इस चावल के इतिहास के बारे में 12 पृष्ठ का पत्र दिया था। मैंने यह भी लिखा है क़ि “मेटुका क्षेत्र”में अंग्रेज़ों द्वारा बनायी गयी “ नहर प्रणाली” को चालू किया जाय। बजहां, मरथी , मझौली, मोती सागरों को मछली वालों को ठेके पर न उठाया जाय। केवल सिंचाई के लिए ही इन सागरों का प्रयोग किया जाय, अन्यथा मछली के ठेकेदार सागरों का पानी निकाल कर मछली पकड़ते है और किसानों को काला नमक की खेती के लिए पानी नहीं मिल पाता है । मै सिंचाई की यह व्यवस्था अवस्य लागू करवाउँगा, यह सिद्धार्थनगर के किसानों से मेरा वादा है।   मुझे यह बताने में हर्ष हो रहा है, की “ एक ज़िला , एक उत्पाद” योजना में कालानमक के आने के कारण , अब इस चावल पर काफ़ी रीसर्च भी शुरू हो गया है। मैंने राज्य सभा में भी भगवान बुद्ध के समय के इस चावल का मामला उठाया था।मुख्यमंत्री की कृपा से इस वर्ष बृहद स्तर पर “ काला नमक महोत्सव” का आयोजन मार्च 2021 में हुआ और इस चावल को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। अब बाज़ार की कमी नहीं है और किसान “काला नमक” की खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमा सकेंगें ।

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