Friday, 4 June 2021

जल संरक्षण मे प्रशासनिक लापरवाही चरम पर,अतिक्रमणकारियों के आगे विवश हुए जिम्मेदार

राकेश दूबे सहसम्पादक


बांसी । क्षेत्र मेंं जल संरक्षण को लेकर प्रशासन की लापरवाही पूरी तरह जग जाहिर है।जिम्मेदारों के उदासीनता का लाभ उठाकर क्षेत्र के अधिकतर तालाबों की भूमि पर बडी संख्या मे लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है ।जानकारी होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन कोई पहल नहीं कर रहा है।इस बारे मे खेसरहा,बांसी और मिठवल ब्लाक के क्षेत्रो मे अतिक्रमण संबंधी वाकया देखा जा सकता है।

प्राचीन काल से ही जल संरक्षण के लिए गांव में तालाबों का निर्माण कराया जाता है। जल संरक्षण के अलावा ग्रामीणों को तालाबो से और भी कई लाभ होते हैं। दूसरी ओर तालाब  शासन के लिए राजस्व अर्जित करने का साधन भी है। तालाबों को मछली पालन के लिए पट्टे पर देकर शासन को लाखों रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। प्रशासन की अनदेखी के चलते अधिकृत तालाबों की भूमि पर अवैध कब्जा करके अस्तित्व पर सवाल खडा कर दिया है।

 सुप्रीम कोर्ट वा सरकार तालाबों के संरक्षण को लेकर चाहे जितना गंभीर हो लेकिन प्रशासन इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह उदासीन है।गांवो के सार्वजनिक भूमि के निगरानी और जबाबदेही पर मोटा तन्ख्वाह उठा रहे राजस्व कर्मियों के लिए गांव सिर्फ़ कमाई का संसाधन रह गया है।पहली बात कि इन जिम्मेदारों द्वारा पहल करना असम्भव है और अगर किसी ने सामने आकर मामले को उजागर करना चाहा तो अनन्त कमाई के रास्ते खुल जाते हैं।गांवो के गड्ढे ,चकमार्ग ताल और पोखरे सब अवैध अतिक्रमण कारियों के जद मे है।प्रशासन की उदासीनता के चलते अधिकतर खासकर तालाबों की भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। कहीं  इंडिया मार्का नल लगाकर रखे हैं। हालांकि शासन तालाबो से अवैध कब्जा हटाने के लिए अभियान चलाता है इसके लिए प्रशासन कुछ तालाबों से अवैध कब्जा हटवाने की कवायद भी कर चुका है परन्तु अभियान समाप्त होती ही  स्थिति वही बन जाती है।कस्बे में ही कई तालाब ऐसे है जिनका अस्तित्व समाप्त हो गया है और वह मकान बन गए हैं।तालाबों के मामले मे आगे रहने वाले  खेसरहा क्षेत्र के  सवाडाड ,पिपरा पीढ़ियां कासडीह  बत्सा, सेखुई  तथा महुआ के तालाब का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है।मिठवल ब्लाक के रमवापुर दूबे सहित अन्य कई गांवों मे तालाबों का वजूद खत्म किया जा रहा है।कृष्णबहदुर मिश्रा गगोत्री पाण्डेय बलराम त्रिपाठी ओमप्रकाश बेद व्यास सुबाष पाण्डेय का कहना है कि इसकी शिकायत तहसील दिवस मे किया जाता है, हल्का लेखपाल आते भी हैं मामला अतिरिक्त कमाई का बनने के बाद शिकायत और लेखपाल गुम हो जाते हैं। जल संसाधनों के कब्जे को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और लोगों का कहना है अगर गड्ढे से अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है तो हम लोग कोर्ट जाएंगे।

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