राकेश दूबे सहसम्पादक
पथरा बाजार। 02 वर्षों से लड रहे अदृश्य वायरस कोरोना ने न जाने कितनों को मौत की नीद सुला गया।कितने परिवार बिछुड़ गए।सरकारी आंकड़ों से अलग भी आकंडा होता है।
कोविड-19 से हो रहे जंग मे जिम्मेदारों ने वेतन उठा रहे वर्करों को नायक की उपाधि दे रखा है।इन नायकों के साथ हुए किसी अनहोनी के लिए भी बडे मदद की घोषणा भी किया गया है।परन्तु इस सबसे परे समाज सेवियों या समाजिक संगठनों के द्वारा खामोशी से काफी प्रशंशनीय कार्य किया गया है।ऐसे ही एक जन नायक के रूप मे बांसी तहसील क्षेत्र मे सेहरी इस्टेट के संचालक श्रीनेत वंशावली मे लाहौर विजेता योगी कुंवर रणजीत सिंह के प्रपौत्र कुंवर विक्रम सिहं ने कर दिखाया।प्रचार प्रसार से दूर नि:शब्द होकर गरीब और यतीमों का मदद करना दैनिक क्रियाओं मे शामिल है।कोविड-19 की पहली और दूसरे लहर मे जहां लोग अपनों से किनारा कर रहे थे वहीं प्रयाप्त दूरी रखते हुए आम लोगों की समस्याओं को सुलझाने मे लगे थे।इस दौरान मास्क का वितरण हो या स्वास्थ्य संबंधी समस्या,गांवो मे सेनेटाइजिंग, साफ सफाई और जागरूकता मे आम लोगों के बीच मे दिखलाई दिए हैं।चौथे दशक मे नौजवानों का उर्जा धारण कर कार्य कर रहे कुंवर विक्रम सिहं को अपनी उदारता की शैली पूर्वजों से मिला है।तथ्यात्मक फैंसले लेना अनुवांशिक कारण हैं तो बुद्धिजीवी वर्ग का सम्मान करना खानदानी वसूल है।कोरोना काल से उपजी परिस्थितियों मे बेरोजगारी चरम पर है ऐसे स्थिति मे दर्जनों लोगों को कार्य पर लगाए हुए हैं।सादा जीवन उच्च विचार के अवधारणा को ग्रहण कर सात्विक जीवन जीने वाले कुंवर विक्रम सिंह हमेशा पर्दे के पीछे रहकर कार्य करना पसंद करते हैं।सुबह के समय सेहरी कोठी पर अपने समस्याओं को लेकर काफी दूर से लोग आते रहते हैं।एक मुलाकात के दौरान कहा कि मै प्रचार पसंद नहीं करता हूं।शात होकर काम करना मेरा हैविट है।जहां तक जनसमस्याओं की बात है तो हमारे यहां कई पीढियों से लोगों का आना जाना बना है।
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