सरताज आलम
सिद्धार्थनगर
राप्ती की बाढ़ से लोगों को सुरक्षित रखने के लिये शासन की ओर से मिले धन का बंदरबांट हो रहा है। पहले तो समय रहते बचाव के इंतजाम नहीं हुआ बाद में जिस स्थान पर ठोकर का निर्माण लाखों रूपये की लागत से कराया गया, वह मानक-विहीन निकले और गांव को सुरक्षा देने की जगह खुद ही नदी की धार में बह रहे हैं। ऐसे में नहीं के बेग से ग्राम पंचायत कैसे सुरक्षित रहेगी।राप्ती नदी के तट पर बसे बनगाई नानकार गांव सदैव बाढ़ की बिभीषिका से जुलता है। स्थित यह है कि मानसूनी सीजन में जब नदी बेगवान होती है तो यहां कटान करते हुऐ दर्जनों गांव में बाढ़ के हालात उत्पन्न करती है। शासन ने समस्या को देखते हुये बर्ष 2020 में राप्ती के तटवर्ती गांव को सुरक्षित रखने के लिये गैप के लिये भूमि अधिग्रहण ठोकर निर्माण बांध की मरम्मत आदि के लिये 74 करोड़ रुपये अवमुक्त किये। इस धनराशि का अभी तक कारगार उपयोग धरातल पर नहीं दिखे। सिंचाई निर्माण खण्ड प्रथम सिद्धार्थनगर ने उक्त गांव में वर्ष 2021 में 85 लाख रुपये की लागत से नौ ठोकर का निर्माण कराया। बनगई नानकार गांव दक्षिण पश्चिम हुये निर्माण में मानकों के धज्जियां उड़ाई गयी। सीमेंट व ककरी भरी बोरिया की जगह मिट्टी भरी बोरिया डाली गयी, जो अब नदी की धार में बह चुके हैं अब नदी की धार में बह रही ठोकर है। अब गांव के ऊपर नदी का खतरा मंड़रा रहा है। क्षेत्र के गोबिन्द, दीप, प्यारे, मयंक, दीपक सुनील यादव आदि लोगों का कहना है ठोकर के नाम पर लाखों का हुआ हेराफेरी जिम्मेदार अधिकारी नहीं ध्यान दे रहे हैं।
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