सरताज आलम
सिद्धार्थनगर
विकास खण्ड डुमरियागंज के अन्तर्गत नगर पंचायत मे स्थित राजकीय पौधशाला के सुदृढ़ीकरण कराने का कार्य स्वीकृत हुआ था परन्तु ढाई वर्ष से भी अधिक समय बीत गया और कार्यदायी संस्थाओं व ठेकेदारों के लापरवाही, भ्रष्टाचार व टालमटोल रवैये के कारण अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया। जिससे स्थानीय लोगों में जबरदस्त नाराजगी है और तरह-तरह का कयास लगाया जा रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह सब देरी जानबूझकर एक सोची समझी साज़िश के तहत किया जा रहा है। जिस परियोजना में जितना ज्यादा देरी किया जायेगा तो उस परियोजना में उतना ही ज्यादा ठेकेदारों व कार्यदायी संस्थाओं का फायदा होगा। क्योंकि जब कार्य पूरा होने में ज्यादा देरी होगा तो मटैरियल का कास्ट बढ़ जायेगा। तो पुनः कार्यदायी संस्थाओं द्वारा विभाग से अतिरिक्त धन का मांग किया जायेगा, इसी मकसद से यह सब किया जा रहा है। आपको बताते चलें कि लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से नगर पंचायत डुमरियागंज में स्थित राजकीय पौधशाला का सुदृणीकरण होना था। जिसमें (upcldf) उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ लिमिटेड कार्यदायी संस्था है। और कार्यदायी संस्था द्वारा जो दर निर्धारित किया गया है, वह उद्यान विभाग के जिले से लेकर मण्डल तक के किसी भी अधिकारी को नहीं पता है और उद्यान विभाग के पास न ही इस्टीमेट है न ही मैप है। दिनांक 18/05/2023 को विभागीय समीक्षा बैठक में वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से कार्यदायी संस्था के अधिकारियों द्वारा कार्य को हर हाल में 31/05/2023 तक पूरा कराने का आश्वासन दिया था। परन्तु दिया गया समय-सीमा बीत गया मगर अभी तक कार्य पूरा नहीं हो सका। वहीं ग्यारह लाख छब्बीस हजार दो सौ रूपये से राजकीय पौधशाला परिसर में मिट्टी पटाई होना था जो कि अभी तक भी पूरा पटाई नहीं हो पाया। इस समय सावन मास चल रहा है और अब मिट्टी कहीं नहीं मिलेगा।इकतालिस लाख बारह हजार एक सौ छप्पन रूपये से राजकीय पौधशाला का बाउण्ड्री वाल और कंटीले तार का निर्माण होना था, जिसमें न तो बाउण्ड्री वाल की रंगाई पुताई हुआ और न ही कंटीले तार लगे। तीन लाख पन्चान्यबे हजार छ: सौ पचहत्तर रूपये की लागत से राजकीय पौधशाला का गेट निर्माण होना था समय सीमा समाप्त हो गया और अभी तक गेट नहीं लगा। चार लाख पांच हजार चार सौ रूपये की लागत से राजकीय पौधशाला में टायलेट बनना था, वह भी अभी तक पूरा नहीं किया गया न तो शीट बैठाया गया और न ही टायलेट में फाटक वगैरह लगाया गया। तीन लाख तिरान्यबे हजार सात सौ छियासी रूपये की लागत से राजकीय पौधशाला में समर सेबुल लगना था। बारह लाख तिरपन हजार आठ सौ पचपन रूपये की लागत से राजकीय पौधशाला में सीसी रोड ड्रेन का निर्माण होना था, वह भी अभी तक पूरा नहीं हो सका। दो लाख अठारह हजार एक सौ छियासी रूपये की लागत से राजकीय पौधशाला में काऊ केयर/ पशु शेड का निर्माण होना था, वह भी अभी तक नहीं बन सका। एक लाख साठ हजार रुपये की लागत से राजकीय पौधशाला में सोलर पैनल लाईट लगना था, वह भी अभी तक नहीं लगा। राजकीय पौधशाला में 400 ट्राली में लगभग 100-150 ट्राली मिट्टी डालकर छोड़ दिया गया, बाउण्ड्री वाल पर न तो कंटीला तार लगाया गया और न ही रंगाई-पुताई हुई, टायलेट में न तो शीट बैठाया गया और न ही दरवाजे लगे हैं, समर सेबुल का पम्प हाउस अभी तक नहीं बना, 150 मीटर नाली अभी तक कम्पलीट नहीं हुआ, सोलर एनर्जी लाईट अभी तक नहीं लगा, काऊ केचर/पशु शेड अभी तक नहीं बना, गेट अभी तक नहीं बना। इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी के लिये जब कार्यदायी संस्था UPCLDF के एक्सईएन पी0 के0 सिंह को फोन करने पर एक्सईएन ने बताया कि अभी हम कुछ भी बताने में असमर्थ हैं। किसी दूसरे दिन बात कीजिये और जब विभाग के DHO/DDH को फोन किया गया तो उन्होने बताया कि हमारे अधिकारी समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं हम भी अभी कुछ दिनों पहले गये थे।
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