सरताज आलम
सिद्धार्थनगर
एक तरफ बांसी तहसील क्षेत्र मे कुशाणकाल से लेकर मुगलकाल और अंग्रेजी हुकूमत के निर्माण अपने समय की गाथा सुना रहे हैं तो दूसरी तरफ नगरपालिका के एक दशक पूर्व बनायें गये निर्माण अपने आखिरी दिनों को गिनते हुये ध्वस्त होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मामला मैरेज हालों का है। हर मैरेज हाल के निर्माण में अनियमितता बरती गयी है। अनियमितता की अपनी अलग दिलचस्प दास्तां है। परन्तु सुभाष नगर मुहल्ले में बना 12 लाख के ऊपर का बना मैरेज हाल की कहानी जुदा है। वर्तमान स्थिति है कि क्रमशः खण्डहर में तब्दील होता जा रहा विवाह घर किसी हारर् फिल्म के क्लाइमेक्स की तरह नजर आ रहा है। सीढ़ियों पर चढ़ने के समय प्रेतलोक में जाने का अन्देशा हो जाता है। दरवाजे सड़ कर उखड़ चुके हैं, जंगले टूटकर गायब हो गये हैं। प्लास्टर टुकड़ों में होकर गिर रहे हैं। वहीं एक तरफ निर्दोष नगरवासी अपने लड़कों एवं लड़कियों की शादी के लिये हजारों रूपये में निजी मैरेज हॉल बुक करके वैवाहिक कार्यक्रम कर रहे है। वहीं दूसरी तरफ पालिका क्षेत्र में बना मैरेज हाल भ्रष्टाचार और लूट की कहानी बयां कर रहा है। एक मंजिल के बने घर में अंदर जाने पर दारू की बोतलें, सिगरेट के खोखे, भांग की पन्नी और गांजे की राख नजर आता है। शौचालय की हाल बयान करने योग्य नहीं है। बिजली कब की काट दी गयी है। वायरिंग हुआ तो था परन्तु सब टूट-फूट कर नष्ट हो गया है। सूत्रों के अनुसार रिपेयरिंग के नाम पर कई बार धन निकाल लिया गया है। नाम न छापने को लेकर एक युवक ने कहा कि शुरू में बारात आ रही थी, परन्तु बहुत समय से यूं ही वीरान यू पड़ा है।
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