सरताज आलम
सिद्धार्थनगर।
जिले के लोकसभा चुनाव के दौरान और लोकसभा चुनाव बाद में मिट्टी खनन कारोबारियों का कार्य बदस्तूर जारी है। योजनागत तरीके से कुछ ग्राम प्रधानों को मिलाकर कारोबारियों द्वारा गांव के ताल व पोखरों की मिट्टी जेसीबी ठूलों और ट्रैक्टर-ट्राली के माध्यम से खनन करके बिक्री की जा रही है। जिन गड्डों, ताल व पोखरों के मिट्टी की कीमत राजस्व के रूप में ग्राम समाज के खातों में जमा होना चाहिए तो कारोबारी लेकर उड़ रहे हैं। इसके पीछे राजस्व विभाग का संरक्षण और लापरवाही स्पष्ट नजर आ रहा है। नियमगत है कि निजी कार्य हेतु किसान और भट्टे वगैरह रायल्टी जमा कर मिट्टी की आवश्यकता पूरी कर सकते हैं। 15 अप्रैल तक गेहूं कटने के पश्चात कारोबारी इस क्षेत्र में उतरे तो अभी तक जारी है। इस दौरान तहसील और पुलिस प्रशासन द्वारा दो चार स्थानों पर कार्यवाही किया गया। ट्रैक्टर-ट्राली व जेसीबी को लाकर थाने में खड़ा भी किया गया, परन्तु पेनाल्टी जमा करके दुबारा खनन करने की प्रक्रिया चल रही है। मिठवल ब्लाक के सिसई कला में पुराने पोखरे के अन्दर खुदाई करके लाखों की मिट्टी बेंच लिया गया। खेसरहा ब्लाक के सवाडाड में पोखरे की मिट्टी को बेंचकर रेलवे ट्रैक बनवाया जा रहा है। बांसी ब्लाक के कई गांवों में ताल व पोखरों के मिट्टी का कारोबार बेरोकटोक जारी है। ग्राम समाज के जमीनों को सुरक्षित करने के लिए लगाये गये लेखपालों की भूमिका भी रहस्यमय नजर आ रहा है। सूत्रों के अनुसार रात्रि 9 बजे से सुबह 4 बजे तक तहसील क्षेत्र के कई गांवों में अवैध खनन चल रहा है। इस सम्बन्ध में जिला खनन अधिकारी ने कहा कि तहसील प्रशासन को बतलाइयें या मुझे लोकेशन दीजिए कार्यवाही अवश्य होगा।
No comments:
Post a Comment