Saturday, 1 June 2024

विकास खण्ड खुनियांव में सरकारी धन का मचा है महा लूट

* मनरेगा में लूट की मची छूट, रोजगार सेवक लगा रहे हैं श्रमिकों की फर्जी हाजिरी तो वहीं जिम्मेदारों के नाक के नीचे किया जा रहा है भ्रष्टाचार।

*खुनियांव विकास खण्ड अन्तर्गत ग्राम पंचायतों में चल रहे मनरेगा कार्यों को लेकर हमेशा मीडिया की सुर्खियों में बना रहता है।

सरताज आलम

सिद्धार्थनगर।


जिले के विकास खण्ड खुनियांव के ग्राम पंचायत सेखुईया खुर्द बुजुर्ग का मामला है जहां पर ग्राम पंचायत में आईडी सं0 - 3151/IC/958400735 सेखुईया खुर्द बुजुर्ग मे पिच रोड से फारूक के खेत तक नाला खुदाई कार्य एवं आईडी सं0 - 3151/IC/ 958400737 पर सेखुईया खुर्द बुजुर्ग मे फारूक के खेत से अकबर के खेत तक खुदाई का कार्य चल रहा है। कार्य में 90 श्रमिकों का मास्टर रोल भरा जा रहा है, परन्तु संवाददाता की पड़ताल में दूर-दूर तक कहीं एक भी श्रमिक नहीं पाये गये। यहां दो परियोजनाओं पर नाला खुदाई का कार्य मनरेगा योजना के अन्तर्गत सिर्फ कागजों में चल रहा है। ग्राम पंचायत सेखुईया खुर्द बुजुर्ग में ही 90 श्रमिकों का फर्जी मास्टर रोल भरा जा रहा है। सचिव मुकेश कुमार को फोन करने पर उन्होंने गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए कहा कि रोजगार सेवक को फोन करिये या फिर ग्राम प्रधान को फोन करिये। यहां मनरेगा कार्य सिर्फ कागजों में ही चल रहा है। जबकि ग्राम पंचायत सेखुईया खुर्द बुजुर्ग में संवाददाता सुबह 8:35 बजे से लेकर 10 बजे तक था। उपरोक्त परियोजना/कार्य स्थल पर कहीं पर भी मौके पर कोई कार्य होते हुए नहीं पाया गया। जबकि मास्टर रोल में दो कार्य अंकित है। इस कार्य पर 90 श्रमिकों का मास्टर रोल भरा जा रहा है। यह कार्य सिर्फ कागजों में ही चल रहा है। आखिर किससे इशारे पर इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया जा रहा है जबकि केन्द्र सरकार एवं प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार मुक्त करने की दावा करती है। ग्राम पंचायत सेखुईया खुर्द बुजुर्ग सहित अधिकतर ग्राम पंचायत में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। अगर जमीनी स्तर पर इसकी पड़ताल कर ली जायें तो भ्रष्टाचार के कलाई परत दर परत खुलकर सामने आने लगेगी, जो लोग गांव में कभी कार्यस्थल पर नहीं जाते, उनके नाम पर भी हाजिरी लगा दी जाती है। ग्राम पंचायत में नियुक्त रोजगार सेवक द्वारा फर्जी हाजिरी लगा दिया जाता है। तकनीकी सहायक द्वारा फर्जी एमबी कर दिया जाता है और मजदूरों के खाते में पैसा भिजवाकर निकलवा लिया जाता है और उनको 500 से 600 रूपये पकड़ा दिया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि फर्जी मनरेगा योजना में हो रहे कार्य स्थल पर शुरू होने और समाप्त होने व परियोजना पर ब्यय किये गये धन के कहीं कोई साइन बोर्ड भी नहीं लगा है। जिससे यह पता नहीं हो पता कि इस परियोजना पर कितने दिन, कितने श्रमिक, कार्य किये और कितना रुपया का भुगतान हुआ। इस योजना में सरकारी धन का खूब बंदर बांट हो रहा है। मनरेगा योजना में रोजगार सेवक की जिम्मेदारी होती है कि वह एनएमएमएस द्वारा फर्जी हाजिरी लगाते हैं, उसके बाद तकनीकी सहायक की जिम्मेदारी होती है कि वह फर्जी एमबी कर देते हैं और प्रधान व सचिव की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है।  जिससे पैसा स्वीकृत होकर श्रमिकों के खाते में पहुंच जाता है। मनरेगा योजना में  घोटाले बाजों के जड़े गहरी व मजबूत हैं। घोटाले बाजों की जड़े इतनी मजबूत है कि किसी भी ग्रामीण में इतनी हिम्मत नहीं होती की खुलकर इसका विरोध कर सकें। अगर किसी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठायीं तो उस को हर तरह से इतना प्रताड़ित व पीड़ित कर दिया जाता है कि वह थक हार कर घर पर बैठ जाता है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि इस समय हमारे ग्राम पंचायत में मनरेगा द्वारा कहीं कोई भी कार्य नहीं चल रहा है। नाला खुदाई का कार्य एक सप्ताह पहले ही पूर्ण हो चुका है।ग्रामीणों ने जांचकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने व फर्जी मनरेगा मजदूरों की हाजिरी को शून्य कराने का मांग किया। इस सम्बन्ध में खण्ड विकास अधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि  हम आपके द्वारा बताये गये ग्राम पंचायत का कल स्थलीय जांच व निरीक्षण करेंगे और गड़बड़ी मिलने पर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करेंगे।

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