सरताज आलम
सिद्धार्थनगर।
जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर पवन अग्रवाल
अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, लखनऊ के पत्र संख्या-72/रा0आ0प्र0प्रा0 दिनांक 01.05.2024 द्वारा लू (हीट वेव) से बचाव हेतु एडवाइजरी-2024 निर्गत की गई है। जो भारतीय मानकों के अनुसार निम्नानुसार है-भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार तीन दिनों तक यहां के सामान्य तापमान से 03 डिग्री से0 या अधिक बना रहें तो उसे लू या हीट देव कहते हैं। जय वातावरणीय तापमान 37 डिग्री से0 तक रहता है तो मानव शरीर पर उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे ही तापमान 37 डिग्री से0 से ऊपर बढ़ता है तो हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को शोषित कर शरीर के तापमान को प्रभावित करने लगता है। गर्मी में सबसे बड़ी समस्या होती है लू लगना। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने से या गर्म हवा के झोंकों के सम्पर्क में आने पर लू लगती है। लू कब लगती है- गर्मी में शरीर के द्रव्य (बॉडी पलूड) सूखने लगते हैं, शरीर में पानी/नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। निम्न स्थितियों में लू की सम्भावना अधिक रहती है- हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसंस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह। ऐसी कुछ औषधिंया जैसे डाययूरेटिक, एंटीस्टामिनिक, मानसिक रोग की कुछ औषधिंया। लू लगने के लक्षण-गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना। तेज पल्स होना। उल्टे श्वास गति में तेजी, व्यवहार में परिर्वतन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मतली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना। मूत्र न होना अथवा इसमें कमी। उपरोक्त लक्षणों के चलते मनुष्य के शरीर में निम्नलिखित प्रभाव पड़तें है- उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है तथा इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है। मनुष्य के हृदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता है। जो लोग एक या दो घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री से0 105 डिग्री एफ0 या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा में रहते हैं, तो उनके मस्तिष्क में क्षति होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है। लू (हीट वेव) से बचने के उपाय (क्या करें और क्या ना करें)-
क्या करें -
प्रचार माध्यमों पर हीट वेव/लू की चेतावनी पर विशेष ध्यान दें, विशेष रूप से गरम हवा की स्थिति जानने के लिये रेडियो सुने, टी0वी0 देखे, समाचार पत्र पर स्थानीय मौसम पूर्वानुमान की जानकारी लेते रहें। अधिक से अधिक पानी पीयें, यदि प्यास न लगा हो तब भी पानी पीये ताकि शरीर में पानी की कमी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकें। हत्यों रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें। धूप में गमछा, चश्मा, छाता, टोपी व पैरों में चप्पल का उपयोग अवश्य करें। खुले में कार्य करते समय सिर, चेहरा, हाथ पैरों को गीले कपड़े से ढ़के रहें तथा छाते का प्रयोग करें। लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटाकर गीले सूत्ती कपड़े से पोछे अथवा नहलायें तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें। यात्रा के दौरान पीने का पानी अवश्य साथ में रखें, गीले कपड़े को अपने चेहरे/सिर/गर्दन पर रखें। शराब, चाय, कॉफी जैसे पेय पदार्थों का इस्तमाल न करें, यह शरीर को निर्जलित कर सकते है। ओ0आर0एस0 द्योल, घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड), नीबू पानी, छाछ, कच्चे आम से बना पन्ना आदि का उपयोग करें, जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सकें। अगर आपकी तबीयत ठीक न लगें, तो गर्मी से उत्पन्न हाने वाले विकारों, बीमारियों को पहचाने और किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तुरन्त चिकित्सकीय परामर्श लें। अपने घर को ठण्डा रखें, पर्दे, दरवाजे आदि का उपयोग करें तथा शाम/ रात के समय घर तथा कमरों को ठण्डा करने हेतु इसे खोल कर रखें (अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते हुए)। पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा बारम्बार अवश्यकतानुसार स्नान करें। कार्य स्थल पर पीने का ठण्डा पानी रखें और उसका नियमित उपयोग करते रहें। कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी में जाने से बचने हेतु सावधान करें श्रमसाध्य कार्यों को ठण्डे समय में करने/कराने का प्रयास करें। घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ायें। गर्भस्थ महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त एवं विशेष ध्यान रखें।
क्या ना करें -
धूप में खड़े वाहनों में बच्चे एवं पालतू जानवरों को न छोड़ें। कड़ी धूप खासकर दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक के बीच सूर्य की रोशनी में जाने से बचें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें। गहरे रंग के भारी एवं तंग वस्त्र ना पहने, इससे बचें। जब बाहर का तापमान ज्यादा हो तो श्रमसाध्य कार्य न करें। नशीले पदार्थ, शराब तथा अल्कोहल के सेवन से बचें। उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचें। बासी भोजन न करें। उक्त आशय की जानकारी जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर पवन अग्रवाल द्वारा दिया गया है।
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