Tuesday, 2 July 2024

बना चर्चा का विषय- मा0 न्यायालय में विचाराधीन, मामले में एसडीएम ने बनाई टीम, पैमाइश के दिये आदेश?

* मुकदमा के पूर्व लम्बित रहने की अवधि में खरीदा है। उक्त गाटा पर न तो विक्रेता का कहीं कब्जा था और न ही क्रेता का कब्जा है।

* इसके पूर्व सीमांकन का बाद उपजिलाधिकारी शोहरतगढ़ के न्यायालय से दोनों पक्षों को सुनकर खारिज कर दिया गया है, जिसकी अपील आयुक्त महोदय बस्ती के यहां है लम्बित।

अभिषेक श्रीवास्तव 

शोहरतगढ़़/सिद्धार्थनगर।

फोटो - एक पक्ष विजय कुमार परसुरामका और दूसरे पक्ष दुर्गेश कुमार अग्रहरि।

आपको बता दें कि शोहरतगढ़ तहसील का विवादों से पुराना नाता रहा है, लेकिन इस बार का कतिथ विवाद कागजों के खेल से खेला गया और इस खेल को तहसील के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी भी समझ नहीं पायें। मामला सिद्धार्थनगर जनपद के शोहरतगढ़ तहसील का मामले से जुड़ा हुआ है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक आवेदक श्रीकान्त द्वारा दिये प्रार्थना गये पत्र पर शोहरतगढ़ पुलिस द्वारा एसडीएम को सम्बोधित एक रिपोर्ट बनाई गयी कि दोनों पक्षों के अभिलेखों के अवलोकन से पाया गया कि आवेदक अपनी भूमि गाटा संख्या 581क बता रहा है जबकि विपक्षी द्वारा वर्तमान निर्माण गाटा संख्या 577 में कराये जाने की बात की जा रही है तथा नक्शा जो मकान के निर्माण का हुआ है, यह गाटा संख्या 577 में दर्शाया गया है। आवेदक द्वारा यह उल्लंखित किया गया है कि सिविल जज (सीडी) के न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन है अतएव ऐसी दशा में उक्त भूमि का विरोधाभाष होने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। उक्त प्रकरण से सम्बन्धित दोनों पक्षों के कागजात इस आख्या के साथ संलग्न है। जिस पर शोहरतगढ़ एसडीएम द्वारा दिनांक 25.06.2024 को एक आदेश जारी किया गया कि थानाध्यक्ष शोहरतगढ़ की आख्या दिनांक 19.05.2024 के क्रम में प्रकरण के निस्तारण हेतु ग्राम गड़ाकुल तप्पा बरहो के गाटा संख्या 580, 581 जो श्रीकान्त आदि के नाम संक्रमणीय भूमि दर्ज है और पैमाइश हेतु राजस्व निरीक्षक की अध्यक्षता में निम्नलिखित कर्मचारियों की टीम गठित की जाती है, जिसमें बृजेश कुमार त्रिपाठी (राजस्व निरीक्षक) अनिरुद्ध कुमार चौधरी (क्षेत्रीय लेखपाल) मुस्ताक खाँ (लेखपाल), नज़ीर अहमद (लेखपाल) एवं नरेंद्र कुमार चौधरी (लेखपाल) को निर्देशित किया जाता है कि उक्त गाटे की पैमाइश हेतु 28.06.2024 को प्रत्येक दशा में करना सुनिश्चित करें, ताकि उपरोक्त शिकायती प्रार्थना पत्र का निस्तारण किया जा सकें और इसी आदेश से विवाद की कहानी जन्म ले लेती है। जानकार बताते है की इसी आदेश के अनुपालन को लेकर राजस्व विभाग के अधिकारियों से हॉट-टॉक भी हो चुकी है। जो लोगों के बीच चर्चा विषय बना हुआ है। आदेश के नियततिथि को लेकर कतिथरुप शुक्रवार को विवाद इस कदर बढ़ा की एक पक्ष ने गोलबंदी करके दूसरे पक्ष के स्कॉलर्स स्कूल की बाउन्ड्रीवाल तोड़वा डाली और मामला फिर थाने तक पहुंच गया, लेकिन उसी दिन राजनीतिक हस्ताक्षेप के बाद फिर तोड़ी गयी बाउन्ड्रीवाल को जोड़वा दिया गया। जिसमें जमकर राजनीति भी हुई और इस राजनीति के बाद एक और कहानी सोसल मीडिया से पोर्टल न्यूज एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउन्ट से वायरल होने लगी। कस्बा निवासी दुर्गेश कुमार अग्रहरि ने एक्स पर ट्वीट करते हुये लिखा कि लेखपाल व कानूनगो के द्वारा पैमाइश के लिए दो लाख रुपया मांगा जा रहा है। वहीं मामले की जानकारी के लिए जब राजस्व निरीक्षक बृजेश कुमार त्रिपाठी और क्षेत्रीय लेखपाल अनिरुद्ध चौधरी से वार्ता की गयीं तो कहानी कुछ और ही सामने आयी। उन्होंने कहा कि आरोप असत्य एवं निराधार है और इसी मामले को लेकर उन्होंने बताया कि अपर जिलाधिकारी उमाशंकर एवं अपर उपजिलाधिकारी संजीव कुमार दीक्षित ने दिनांक 19.01.2024 को 3 पृष्ठ में एक रिपोर्ट बनायीं थी और उसमे लिखा था कि न्यायालय सिविल जज (जू.डि.) नौगढ़ सिद्धार्थनगर में गाटा संख्या 581 के बाबत विजय कुमार परशुरामका व अन्य बनाम श्रीकान्त व अन्य व्यवहार वाद संख्या 69/2022 विचारधीन है और न्यायालय आदेश के बाद ही विधिक प्रक्रिया अपनायीं। मामले को लेकर जब एसडीएम शोहरतगढ़ चंद्रभान सिंह से वार्ता हुई तो उन्होंने बताया कि मिसलेनियस प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ था, जिस पर पांच सदस्यों की टीम बनाई गयी थी। मुकदमा के पूर्व लम्बित रहने की अवधि में खरीदा है। उक्त गाटा पर न तो विक्रेता का कहीं कब्जा था और न ही क्रेता का कब्जा है और उक्त गाटा संख्या के आस-पास कोई मेड़ नहीं है तथा उक्त गाटा संख्या के बगल विपक्षी का दीवार है जिसमें स्कालर्स स्कूल संचालित है। यदि मामला मा० न्यायालय में विचाराधीन है तो कार्यालय द्वारा जारी आदेश वापस ले लिया जायेगा। आगे की कार्यवाही मा० न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में की जायेगी। वहीं इसके पूर्व सीमांकन का बाद उपजिलाधिकारी शोहरतगढ़ के न्यायालय से दोनों पक्षों को सुनकर खारिज कर दिया गया है, जिसकी अपील आयुक्त महोदय बस्ती के यहां लम्बित है। अब सवाल यह है कि जब वर्ष 2022 में ही मामला माननीय न्यायालय में विचाराधीन है और अपर जिलाधिकारी द्वारा तीन पृष्ठ की रिपोर्ट तैयार की गयी है तो ऐसे में किस कारण से उपजिलाधिकारी शोहरतगढ़ द्वारा पैमाइश हेतु निर्धारित तिथि के अन्दर आदेश जारी किया गया, समझ से परे है।



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