* गौरा क्षेत्र के परैया नाले पर पानी चढ जाने से प्रशासन ने आवागमन को रोक दिया।
अरविन्द उपाध्याय
शोहरतगढ़/सिद्धार्थनगर।
जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश ने स्थिति को गम्भीर बना दिया है। बारिश के चलते नदियों में उफान आ गया है और बाणगंगा नदी में जल स्तर बढ़ने से आस-पास के गांवों में खतरा मंडराने लगा है। विशेष रूप से महथा और लेदवा गांव के बीच रिंग बांध के कटान की स्थिति ने ग्रामीणों को गहरी चिन्ता में डाल दिया है। बाणगंगा नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ने के कारण नदी के किनारे बसे इन गांवों में कटान तेज हो गया है। कटान के चलते कई स्थानों पर भूमि का बड़ा हिस्सा नदी में समा गया है, जिससे वहां के निवासी अपने घरों और खेतों को लेकर बेहद चिंतित हैं। कई ग्रामीणों ने अपने घरों को खाली करना शुरू कर दिया है और सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही कटान को रोका नहीं गया तो उनके घरों और खेतों को भारी नुकसान हो सकता है। इस खतरे के बावजूद अभी तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे ग्रामीणों में भय और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। वहीं विधायक शोहरतगढ़़ विनय वर्मा की सूचना पर एसडीएम चन्द्रभान सिंह ने कटान स्थल का जायजा लिया। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है और सम्भावित आपदा को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरन्त राहत कार्य शुरू करने की मांग की है ताकि उनके जीवन और सम्पत्ति को सुरक्षित किया जा सकें। वहीं महथा और लेदवा गांव के निवासी इस समय खौफ में हैं, क्योंकि बाणगंगा नदी के कटान की वजह से उनका जीवन और आजीविका दोनों ही खतरे में हैं। बारिश का कहर जारी रहा तो स्थिति और भी विकराल हो सकती है और इसके लिए तत्काल राहत और बचाव कार्यों की आवश्यकता है। महथा गांव के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मो0 आसिम शेख उर्फ नैय्यर भैय्या ने बाणगंगा नदी के कटान से उत्पन्न स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि "यह एक बेहद गम्भीर स्थिति है और हम सभी ग्रामीण बहुत डरे हुए हैं। हर साल बाढ़ का खतरा हमारे सिर पर मंडराता है, लेकिन इस बार कटान की वजह से हालात और भी बदतर हो सकते हैं। नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है और इसके साथ ही हमारी जमीन भी नदी में समाती जा रही है।" वहीं मो0 आसिम शेख उर्फ नैय्यर भैय्या ने प्रशासन से तत्काल सहायता की मांग करते हुए कहा कि "हमारे गांव के लोग अपने घरों और खेतों को बचाने के लिए दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन बिना प्रशासनिक मदद के यह सम्भव नहीं है। मैंने कई बार जिला अधिकारियों से सम्पर्क किया है, जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाने की बात कही गयी है। अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं की गयीं, तो हमारे गांव का बड़ा हिस्सा नदी में समा जायेगा।” उन्होंने आगे कहा कि "हमारी प्राथमिकता इस समय गांव के लोगों की सुरक्षा है। मैंने ग्रामीणों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहें। लेकिन यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे हमें इस संकट से बाहर निकालने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।" मो0 आसिम शेख उर्फ नैय्यर भैय्या ने अन्त में कहा कि "मैं प्रशासन से विनती करता हूं कि वे जल्द से जल्द कटान को रोकने के लिए आवश्यक उपाय करें और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था करें। हमारे गांव के लोग बेहद चिंतित और खौफ में हैं और उन्हें इस समय सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है।"
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