Friday, 4 October 2024

पल्टादेवी मन्दिर में नवरात्र के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा

सरताज आलम

सिद्वार्थनगर।

                                    मां ब्रह्मचारिणी देवी 

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी का ये रूप सफेद कपड़े पहने, एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दूसरे में कमण्डल धारण किये है। देवी के इस स्वरूप को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि देवी को ये भोग लगाने से आयु लम्बी होती है। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी असल में मां पार्वती की अविवाहित रूप हैं। मां ब्रह्मचारिणी की तस्वीर देखकर ही आप समझ जायेंगे कि वो कितनी शान्त और संतोषी हैं। वो तपस्विनी हैं जो भगवान शिव की तपस्या में लगी हुई हैं। उनके एक हाथ में रुद्राक्ष माला तो दूसरे में कमण्डल है। उन्होंने सफेद वस्त्र धारण किये हैं जो उनके पूरे रूप को और शान्त और शीतल बना रही है। ऐसे में आप भी मां द्वारा पहने इस रंग के कपड़ों को धारण कर सकते हैं। नवरात्र के दूसरे दिन आप मां ब्रह्मचारिणी के पसन्दीदा रंग यानी सफेद रंग के कपड़े पहन सकते हैं। खास बात ये है कि इस रंग का कपड़ा सबसे पास होता ही है। यहां तक मीटिंग में भी हम इस रंग के कपड़े को पहनकर आ सकते हैं। इतना ही नहीं सफेद रंग में आपको टी शर्ट, शर्ट, कुर्ता यहां तक कि बहुत कुछ है जिसे आप पहन सकते हैं। इतना ही नहीं महिलाएं कुर्ता, फ्रॉक सूट, साड़ी और फिर तमाम प्रकार के ड्रेस इस रंग में पहन सकती हैं। सफेद कपड़ा असल में शान्ति का प्रतीक है। ये रंग आंखों में ठण्डक प्रदान करता है। इसके अलावा दुनिया में हर जगह इस रंग को आसानी से फॉलो किया जाता है। यहां तक कि इंटरव्यू देते समय भी लोग इस रंग का कपड़ा पहनना ज्यादा पसन्द करते हैं। इसके अलावा माना जाता है कि जो लोग इस रंग का कपड़ा ज्यादा पसन्द करते हैं वे शान्ति पसन्द होते हैं। माना जाता है वे जुनूनी होते हैं और काम को ठीक तरीके से पूरा करने में विश्वास रखते हैं। इसके अलावा सफेद रंग पहनने के पीछे साइकोलॉजी ये कहती है कि ऐसे लोग कुछ छिपाकर नहीं रखते। जो मन में होता है वो बोल देते हैं। ऐसे लोग जैसे को तैसा वाली भावना भी फॉलो करते हैं। तो नवरात्रि के दूसरे दिन आप इस कलर के कपड़े पहन सकते हैं।

पल्टादेवी मन्दिर में श्रद्धालुओं मां के दर्शन को भयंकर भीड़। 

आपको बता दें कि नवरात्र में पल्टादेवी मन्दिर में प्रदेश के बलरामपुर, गोण्डा, बस्ती, संतकबीरनगर, महराजगंज, गोरखपुर आदि के अलावा पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु आते हैं। वर्ष के सभी दिन मां के दरबार में भक्तों की भीड़ रहती है। हलुआ व पूड़ी भी चढ़ाई जाती है। मन्दिर की पुरानी ईटें इसके प्राचीनता की गवाही देती हैं।

इतिहास -

जमुआर नदी के पास स्थित मां पल्टादेवी का ऐतिहासिक मन्दिर महाभारत कालीन है। मन्दिर की स्थापना पाण्डवों के द्वारा करायीं गयीं थी। मन्दिर के पास पुराना शमी का पेड़ है। मान्यता है कि पाण्डवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र इसी पेड़ पर टांगे थे। यहीं से पाण्डवों का भाग्योदय शुरू हो गया। पाण्डवों के भाग्योदय के बाद से ही इस मन्दिर का नाम पल्टादेवी पड़ गया। 

"इस सम्बन्ध में महन्थ घनश्याम गिरि" ने बताया कि माता के दर्शनार्थियों के लिए विशेष व्यवस्था की गयीं है। मन्दिर की तरफ से भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए निजी लोगों को लगाया गया है। नवरात्र में आस्थावान लोगों को परेशानी न हो।

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