Sunday, 6 October 2024

दोषी या आरोपी का घर ढ़हाया तो मुआवजा देना पड़ेगा :- सुप्रीम कोर्ट

बुलडोजर एक्शन: मंदिर हो या दरगाह.... बीच सड़क से हटाना ही पड़ेगा भारी

सरताज आलम

नई दिल्ली।

                      सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली।

सुप्रीम कोर्ट ने किसी दोषी या आरोपी के घर बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, फैसला आने तक किसी दोषी या आरोपी की सम्पत्तियां गिराने पर रोक जारी रहेगी। यह आदेश उन मामलों पर लागू नहीं होगा, जहां अनधिकृत निर्माण हटाने के लिए ऐसे ध्वस्तीकरण की जरूरत है। यह भी सुझाव दिया कि प्रभावित होने वाले व्यक्तियों की सूचना के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। साथ ही उस कार्रवाई की वीडियोग्राफी करानी चाहिए। एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने बेंच से पूछा - अगर किसी का घर गिराया गया तो वो क्या करेगा। क्या बुलडोजर चलाने वाले के पीछे भागेगा?

जस्टिस बोले - महिलाओं-बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं, एसजी ने कहा-आप सहूलियत देने की बात कर रहे हैं। वहीं जस्टिस गवई - अगर कोई दोषी है, तो क्या यह बुलडोजर एक्शन का आधार हो सकता है? सॉलिसिटर जनरल - नहीं। आपने कहा था कि नोटिस इश्यू करना चाहिए। ज्यादातर म्युनिसिपल कानूनों में केस के हिसाब से नोटिस जारी करने की व्यवस्था होती है। आप देख सकते हैं कि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा गया है। जस्टिस विश्वनाथन - इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल होना चाहिए। इसे डिजिटलाइज कीजिए। अफसर भी सेफ रहेगा। नोटिस भेजने और सर्विस की स्थिति भी पोर्टल पर अपडेट रहेगी। सॉलिसिटर जनरल बिल्कुल ठीक है। नोटिस सिर्फ रजिस्टर्ड डाक से भेजना चाहिए। मैं सिर्फ इसके दुरुपयोग को लेकर परेशान हूं। अतिक्रमण करने वालों को एक हफ्ते का समय मिल जायेगा। जस्टिस विश्वनाथन - कई केस आते हैं, जिनमें नोटिस को चैलेंज किया जाता है। सही जगह से ध्वस्तीकरण के ऑर्डर दिये जाने चाहिए।

वहीं इस सम्बन्ध में जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, फिर वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मन्दिर, तो उसे हटाना ही होगा। यह जनता के आवागमन में बाधा नहीं डाल सकती। साथ ही अवैध निर्माण तोड़ने से पहले पर्याप्त समय देना चाहिए। महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं।

* बुलडोजर मामले पर 4 सुनवाई हो चुकीं.... अब बस फैसला आना बाकी है।

बुलडोजर एक्शन पर 2 सितम्बर, 12 सितम्बर, 17 सितम्बर और 1 अक्टूबर को चार सुनवाई हो चुकी हैं। 17 सितम्बर को कोर्ट ने कहा था, अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जायें। केन्द्र बोला - हाथ न बांधें। इस पर कोर्ट ने कहा - दो हफ्ते रुकने से आसमान नहीं फट पड़ेगा।

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