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Thursday, 19 November 2020

विश्व के प्रथम पैरानार्मल वास्तुविद,अहमदाबाद के डा. केतन तलसानिया को मिला यूएसए से प्रैसीडेंटल एक्टिव लाइफस्टाइल अवार्ड व यूथ फिटनेस अवार्ड

इनका जन्म अहमदाबाद के धंधुका तहसील के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था । उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे । उनके माता-पिता चाहते थी कि वे पढ़े और अच्छी नौकरी प्राप्त करें और डॉ. केतन इलेक्ट्रोनिक इन्जिनियर बन गए पर इंजीनियरिंग में उन्होंने पूरी 25 नौकरी त्यागीं और बाद में पैरानार्मल वास्तुविद के रूप में खुद को देश दुनिया में स्थापित किया। और लोगों की न सुनकर उन्होंने खुद की सुनी और आज इस क्षेत्र में अपनी अंतराष्ट्रीय पहचान बनाकर पूरी दुनिया के घरों की निगेटीविटी दूर करके समाज सेवा में रत् हैं। आज उनकी सेवा तपस्या और भारतीय संस्कृति की संरक्षण के कमाल के हुनर को देखते हुये उन्हें डोनाल्ड ट्रंप के एडवाइजरी बोर्ड के मेम्बर लेफ्टिनेंट जनरल ग्रैंड मास्टर डॉ जसबीर सिंह द्वारा ससम्मान अनमोल प्रैसीडेंटल एक्टिव लाइफस्टाइल अवार्ड व यूथ फिटनेस अवार्ड जारी किया गया है जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर मौजूद है जो इस सम्मान की महानता व्यक्त करते हैं। इसके अलावा डॉ केतन तलसानिया जी को यूनाइटेड नेशन जर्नलिस्ट इंटर गवर्नमेंटल आर्गनाइजेशन यूएसए का सम्मानित सदस्य मनोनीत किया गया है और हाल ही में डॉ केतन तलसानिया को वर्ल्ड स्पोर्ट्स मार्शल आर्ट्स काउंसिल का गुडवील एम्बेसडर भी नियुक्त किया गया है। डॉ केतन तलसानिया किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। बता दें कि कई विदेशी रॉयल फैमली से उन्हें प्रिंस तक की उपाधि से नवाजा जा चुका है और वर्तमान में डॉ केतन तलसानिया ग्लोब ईगल यूनिवर्सिटी यूएसए में बतौर काऊंसलर नियुक्ति हैं। आज देश विदेश उनके प्रशंसकों के माध्यमों से उनके लिये पद्मश्री की मांग उठती रही है और इसलिये इस बार पद्मश्री के लिए एप्लाई भी किया जा चुका है कि देश की प्राचीन गौरवशाली वास्तुविद्या संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु डा. केतन तलसानिया सिर्फ़ नाम नहीं, एक ब्रांड हैं। आज तक केतन तलसानिया को अनेक सम्मान,और ८ विश्व खिताब प्राप्त हुए हैं जिसमें 1. ब्रावो इंटरनेशनल बुक ओफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में उनका नाम भारत के प्रथम वैज्ञानिक पैरनॉर्मल वास्तु सलाहकार के रूप में दर्ज है। 2. ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड द्वारा – “ ऐस ऐस्ट्रलाजिकल साइंस ट्रैनर “ की पदवी प्राप्त हुई। 3. एशियन वर्ल्ड रिकार्ड 4. वर्ल्ड रिकार्ड इंडिया 5. चोलान बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर 6. इंटरनेशनल लाइफ्टाइम अचिवमेंट्स अवार्ड्स- 2018 7. जीन्यस इंडियन अचिवर्स अवॉर्ड – 2018, 8. जीनयसेस एक्स्ट्रा ऑर्डनेरी टैलेंट अवॉर्ड, 9. संकल्प से सिद्धि अवॉर्ड – 2018, 10. इंडियन स्टार परसनालिटी अवॉर्ड, 11.इंडिया स्टार पेसन अवॉर्ड, 12. इंडियन स्टार आईकॉन अवॉर्ड, 13. इंडियास राइज़ींग स्टार अवॉर्ड, 14.एक्सलन्ट टीचर आइकॉन अवॉर्ड, 15. भारत रत्न श्री अटल बिहारी व्यजपाई जी नैशनल एक्सलन्स अवॉर्ड – 2019 , 16. एक्स्ट्रा ऑर्डनेरी टैलेंट अवॉर्ड – 2019, 17. इंटरनेशनल आइकान अवॉर्ड होल्डर, 18. कल्कि गौरव सनमान – 2020, 19. इंटरनेशनल एक्स्लेन्सी अवॉर्ड – 2020, 20. प्रभात प्रेस्टीगिऑउस अवॉर्ड – 2020, 21. 24 टाइम एक्स्लेन्सी अवॉर्ड – 2020। यह सब उपलब्धि को देखते हुए गुजरात के वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर व पत्रकारों, ज्योतिषियों व वास्तुविदों ने हार्दिक बधाई प्रेषित की हैं।


Monday, 9 November 2020

लेफ्टिनेंट जनरल प्रो. डॉ जसबीर सिंह बने इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक

आज 21 वीं सदी में सिटीजन जर्नलिज्म की प्रभावी बाढ़ में पत्रकारिता के स्तर को उन्नत, पारदर्शी व वैश्विक स्तर पर सम्मानित व मजबूत बनाने हेतु बहुत से पत्रकार संगठन समाज में अपनी धाक जमाते हैं पर उनका कितना लाभ एक पत्रकारों को मिल पाता है यह तो जगजाहिर है। इसी स्वं फूलों फलो की विचारधारा को खंडित कर जनसरोकार में एक सशक्त ग्लोबल पत्रकार ऑर्गनाइजेशन की सोच लेकर लेफ्टिनेंट जनरल जीएम प्रो डॉ जसबीर सिंह एक सहायक योद्धा की तरह उतरे हैं। बता दें कि गिनीज वर्ल्ड रिकार्डर हैं इसके अतिरिक्त उनपर हजारों देशी-विदेशी सम्मान से अलंकृत हैं, आज उन्हें मार्शल आर्ट्स की दुनिया का 'फादर ऑफ मार्डन मार्शल आर्ट्स' कहा जाता है क्योंकि उन्होंने मार्सल आर्ट्स में कई नवीन ट्रिक विकसित की हैं जो विश्व के बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोने पर सुहागे की तरह विश्वसनीय हैं। गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट जनरल जीएम प्रो डॉ जसबीर सिंह, भारत के कपूरथला पंजाब के रहने वाले हैं जो आज अमेरिका के सम्मानित नागरिक हैं जोकि वर्तमान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप के सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं और इसके अतिरिक्त इसके अतिरिक्त कैलिफोर्निया ग्लोब ईगल यूनिवर्सिटी के फाउंडर अध्यक्ष हैं, वर्ल्ड स्पोर्ट्स मार्टिअल आर्ट्स काँसिल यू एन देसा के साथ वर्ल्ड अमट्यूर शोटोकां कराटे फेडरेशन के भी अध्यक्ष हैं तथा नार्थ अमेरिका जज आर्बिट्रेटर इस्चर इंटर गवर्नमेंटल कोर्ट, आदि पदों पर कार्यरत हैं। देश प्रेम की बात है कि अमेरिका में रहकर भी उन्हें130 करोड़ भारतीयों की चिंता की, कि हम भारतीयों के लिए कितने प्रोजेक्ट लगायें जिससे हमारे देश के लोग लाभान्वित और सक्षम बन सके और इसीलिए उनके पद्मश्री और भारतरत्न देने की मांग हमेशा ही उठती रही है। बता दें कि आज भारत माता के इस सपूत ने देश विदेश के पत्रकारों की दशा व दिशा के कायाकल्प हेतु यूनाइटेड नेशन जर्नलिस्ट इंटर गवर्नमेंटल आर्गनाइजेशन (यूएनजेईओ) यूएसए को यूनाइटेड नेशन से कनेक्ट किया है जो कि यूनिट ऑफ यूएन है।वह यूनेजेइओ यूएसए के प्रैसीडेंट हैं। कहते हैं न कि अच्छाई की सुगंध इत्र है जो चहुंओर फैलती है। तो जब इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन (ईरा) के जनरल सेक्रेटरी जहांगीर खान की श्री जसबीर सिंह से बात हुई तो राष्ट्रीय महासचिव जहांगीर खान के निवेदन पर श्री जसबीर सिंह इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन (ईरा) के मुख्य संरक्षक घोषित किया हैं लेफ्टिनेंट जनरल प्रोफ़ेसर डॉ जसबीर सिंह को 'ईरा' का मुख्य संरक्षक बनाये जाने से ईरा और यूनेजेइओ दोनों पदाधिकारियों व सदस्यों में हर्ष की लहर है ईरा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राशिद अली हर्ष व्यक्त करते हुए डॉ जसबीर सिंह का ईरा में स्वागत किया है और यह हम सब के लिए गर्व का पल है।


Monday, 12 October 2020

विशेष साक्षात्कार: मार्शल आर्ट्स के पर्याय बने ग्रैंड मास्टर प्रो. डॉ जसबीर सिंह

(मैं विश्व के हर कोने में मार्शल आर्ट्स केन्द्र खोलना चाहता हूं जिससे कि हर बच्चा आत्मसुरक्षित, आत्मानुशासित व आत्मनिर्भर बने - ग्रैंड मास्टर डॉ जसबीर सिंह )


कपूरथला -पंजाब प्रदेश जहां अपनी विरासत के लिए विख्यात है, उसी पंजाब का छोटा सा जिला कपूरथला जो पैरिस के नाम से जाना जाता है। उसी पैरिस कहे जाने वाले जिला कपूरथला की सौंधी मिट्टी ने कई नामचीन खिलाड़ियों को पैदा कर खेल जगत में विश्वस्तरीय पहचान की दास्तान लिखी है। हम बात कर रहे हैं, जिले कपूरथला के सामान्य परिवार में जन्में जसवीर सिंह की जो ऐसा बहुआयामी व्यक्तित्व हैं, जिसने वर्षों पहले कपूथला में सम्मानित पत्रकार के रूप में प्रसिद्धि पायी तथा खेल जगत में भी जहां अपनी अभूतपूर्व प्रतिभा का बखूबी प्रदर्शन कर विश्व में पहचान बनायी। युवा जिन्हें फादर ऑफ मार्डन मार्शल आर्ट्स कहकर सम्बोधित करते हैं। वहीं दूसरी तरफ़ विश्व की महाशक्ति अमेरिका में जाकर अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से प्रैसीडेंट ट्रम्प के एडवाइजरी बोर्ड के मेम्बर बने। इसके अलावा मार्शल आर्ट्स को विश्व के कौने-कौने में पहुंचाने के लिए खासतौर पर बच्चियों को आत्मनिर्भर आत्मसुरक्षित बनाने हेतु उन्होंने कई देशों की यात्राएं कर कई मार्शल आर्ट्स केन्द्र खुलवाये । आज कपूरथला के इस लाल की खुद की वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स काउंसिल नाम से अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो पूरी दुनिया में आत्मसुरक्षित बनने की ताकत का पर्याय बन चुकी है। बता दें कि ग्रैंड मास्टर डॉ जसबीर सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं उनके पास बराक ओबामा द्वारा सम्मान पत्र के अतिरिक्त सैंकड़ों देश विदेशी सम्मान हासिल हैं। युवाओं को आत्मसुरक्षित बनाने की उनकी इस जुनूनी लगन के कारण आज वह देश - विदेश में कई संस्थाओं के साथ जुड़ कर अपनी सेवाएं दे रहे है। फोन पर हुई बातचीत में ग्रैंड मास्टर डॉ जसबीर सिंह ने अपनी जीवन यात्रा के बारे में बताया--- प्रश्न: उनका पूरा नाम क्या है? वर्तमान में कहां रहते है? उत्तर-उन्होंने बताया कि मार्शल आर्टस में पी.एच.डी. की होने के कारण उनका पूरा नाम ग्रैड मास्टर प्रो. डा. जसबीर सिंह है और वर्तमान में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका के शहर कैलीफोर्निया में रहते हैं। प्रश्न: मार्शल आर्टस को ही अपने करियर के रूप में क्यों चुना? उत्तर: उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही ब्रूसली की फिल्मों काफी प्रभावित करती थीं, जिसके बाद मैंने मार्शल आर्टस को अपने करियर के रूप में चुना। आगें वह कहते हैं कि मेरे लिए मार्शल आर्ट्स मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा है। आज मैं कह सकता हूं कि मार्शल आर्ट एक जीने की अद्भुत कला का नाम है। यह लोगों को सुरक्षा देने का एक सुअवसर है। जिसे मैं सर्वसुलभ करने को संकल्पित हूं। प्रश्न: मार्शल आर्ट् में इतना ऊंचा मुकाम पाने के अलावा वर्तमान में आप विश्वहित में और क्या नया कर रहे है? उत्तर: डा. जसबीर सिंह, वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स काउंसिल के प्रेसीडेंट एण्ड फाऊंडर हूँ और गवर्नमेंट ऑफ इंटरनेशनल यूनाइटेड किंगडम एसोसिएशन कॉमनवेल्थ कंट्री का यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स मिनिस्टर हूं ।इसके अलावा वर्तमान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एडवाइजरी बोर्ड का ऑफिशयल मेम्बर हूं तथा कई इंटरनेशनल यूनीवर्सिटी, पीस पुलिस ऑर्गेनाइजेशन और कई सोसल वर्क करने वाली संस्थाओं से भी जुड़ा हूं। प्रश्न : अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेगें? उत्तर: डा. जसबीर ने मुस्कुराते हुए कहा कि हर कामयाब व्यक्ति के पीछे एक महिला का हाथ होता है और मेरी 'माँ ने हर समय मेरा साथ दिया। मेरा मानना है कि माँ से अधिक कोई और आपका सच्चा सलाहकार नहीं हो सकता। प्रश्न: विश्व के युवाओं के लिए आप क्या सोचते हैं? उत्तर: उन्होंने कहा कि मेरे भारत के कई राज्यों में मार्शल आर्ट्स केन्द्र हैं, परंतु मैं विश्व के हर कोने में मार्शल आर्ट्स केन्द्र खोलना चाहता हूं, जिससे दुनिया का प्रत्येक बच्चा, विशेषकर हमारी बच्चियां आत्मानुशासित, सुरक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बन सके। प्रश्न - हाल ही में आपकी आदमकद पेंटिंग के वीडियो वायरल हुए हैं इसपर कुछ बतायें? उत्तर- हाँ, राजस्थान के वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर आर्टिस्ट हीरालाल भदरेचा जी ने मेरी कई पेंटिंग और कलाकृतियां बनायीं हैं। इसके अलावा राजकोट व गुजरात में भी कई कलाकार मेरी पेंटिंग व आर्टवर्क में लगे हैं। बस सबके प्यार से मैं अभिभूत हूँ। प्रश्न: इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेगें? उत्तर: मार्शल आर्ट्स एक तपस्या है एक जीने की कला है। जिसे समझने के लिए इसे जीना पड़ता है। फिर एक दिन हम इसमें खुद को स्वत: ही ढ़ाल लेते हैं। युवाओं को यही कहूंगा कि मार्शल आर्ट का कोई शॉर्टकट नहीं है। आप बस, वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो, हाथ में ध्वजा रहे, बल दल सजा रहे, तुम निडर डटे रहो। एक दिन विजयश्री स्वंय आपका विजय तिलक कर देगी। प्रश्न: अब तक आपकी क्या उपलब्धियां रहीं ? उत्तर: मैंने मेरे जीवन में पांच वर्ल्ड मार्शल आर्ट चैम्पियनशिप खेलीं हैं और जीतीं हैं जिनमें 1- वर्ल्ड मार्शल आर्ट एंड किक बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 10-12 नवम्बर 2000 इटली में 5वें स्थान पर जीत। 2-वर्ल्ड ताइक्वांडो डू मूडो चैम्पियनशिप 18-19 नवम्बर 2000 पेरिस में तीसरा कांस्य पदक जीता। 3. 12वें इंटरनेशनल मुयेथाई और कराटे चैम्पियनशिप 20-22 फरवरी 2001 थाईलैंड में सिल्वर मैडल जीता। 4. 8वें अंतरराष्ट्रीय कराटे एंड किक बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 23-25 मई नेपाल में तीसरा कांस्य पदक जीता। 5. एसोचायज़िओन सेंट्री स्पोर्टिवी अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 15 मई 2005 इटली में प्रथम स्वर्ण पदक जीता । सच बोलूं तो मैं अपने लाइफ का पहला स्टेट मैच हारा था और इसीलिए शायद में आज जीता हुआ एक सफल खिलाड़ी हूं। मेरा अनुभव है कि जो हार से डर गया वह जीत का स्वाद भी नहीं चख सकता। -ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना, पत्रकार


Tuesday, 30 June 2020

यूपी बोर्ड माया मिली न राम, NCERT के चक्कर मे हिंदी का काम तमाम, कम अंक आने से विद्यार्थियों के अंकों का प्रतिशत भी गिरा

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की हिंदी की परीक्षा में सात लाख 97 हजार 826 परीक्षार्थियों के फेल होने के बाद एनसीईआरटी पैटर्न पर सवाल उठने लगे हैं। हिंदी में नंबर कम आने से विद्यार्थियों के संपूर्ण प्राप्तांक का प्रतिशत भी गिरा है। इसके पीछे नए पैटर्न में हिंदी के लिए एक प्रश्न पत्र बड़ी वजह माना रहा है। शिक्षकों का मानना है कि पहले तीन प्रश्नपत्रों होते थे। जिससे किसी में अगर परीक्षार्थी को कम अंक भी मिले तो दूसरे में इसकी भरपाई हो जाती थी। अब तो एक ही प्रश्न पत्र है, जिसमें गणित की तर्ज अंक दिए जाते हैं। यही परीक्षार्थियों के फेल होने का बड़ा कारण है। इलाहाबाद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एसपी तिवारी का कहना है कि हिंदी को लेकर विज्ञान वर्ग के अधिकांश विद्यार्थी गंभीर नहीं रहते थे, इसके बावजूद पहले हाईस्कूल एवं इंटर दोनों में हिंदी में तीन प्रश्नपत्र होने के चलते परीक्षार्थी तीनों अलग अलग प्रश्नपत्रों में पासिंग मार्क लेकर उत्तीर्ण हो जाते थे। अब एनसीईआरटी पैटर्न लागू होने के बाद परीक्षार्थियों की हिंदी सहित दूसरे विषयों में एक ही प्रश्न पत्र की परीक्षा होती है। इस वजह से अब 70 नंबर के प्रश्न पत्र में परीक्षार्थियों को पास होना मुश्किल हो गया। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. इंदु सिंह का कहना है कि जब से हाईस्कूल, इंटर में हिंदी में एक प्रश्न पत्र की व्यवस्था लागू की गई है, परीक्षार्थियों को मिलने वाला अंक प्रतिशत कम हो गया। हिंदी में पहले दो प्रश्नपत्र हिंदी के शिक्षक पढ़ाते थे, जबकि तीसरा प्रश्नपत्र संस्कृत एवं व्याकरण का होता था, उसे संस्कृत के शिक्षक पढ़ाते थे ऐसे में बच्चों को पूरे विषय की जानकारी हो जाती थी। इससे बच्चों की हिंदी कमजोर हो रही है। हिंदी में अब पूछे जाने वाले सवाल एक-एक अंक के होते हैं, वह पूरी तरह से गणित के प्रश्न पत्र की तरह अंक देने वाले हैं। ऐसे में छात्रों की गलती पर उन्हें शून्य अंक मिलते हैं। इसी कारण से बच्चे फेल हो रहे हैं। उनका कहा है कि बदली व्यवस्था में बच्चों को सीबीएसई के बच्चों की तरह यूपी बोर्ड के बच्चों की हिंदी कमजोर होती जा रही है। उदासीनता भी बड़ी वजह प्रयागराज चंद्रशेखर आजाद इंटर कॉलेज पूरबनारा के शिक्षक इंद्रदेव पांडेय का कहना है कि पूरे वर्ष हिंदी के प्रति छात्रों की उदासीनता और यूपी बोर्ड की ओर से एनसीईआरटी पैटर्न लागू करना छात्रों को हिंदी में फेल होने के लिए जिम्मेदार है। उनका कहना है कि अब बच्चों को हिंदी का एक ही शिक्षक पढ़ाता है। इस कारण से बच्चों का हिंदी ज्ञान मजबूत नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि इस बार का बोर्ड परीक्षा परिणाम स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई को लेकर कई गंभीर सवाल भी उठा रहा है। फेल होने वालों में हाईस्कूल में पांच लाख 27 हजार 866 परीक्षार्थी और इंटर में दो लाख 69 हजार 960 परीक्षार्थी शामिल हैं।


अनलॉक-2' के लिए केंद्र सरकार की नई गाइडलांइस जारी, देश भर के स्‍कूल-कॉलेज 31 जुलाई तक बंद

केंद्र सरकार ने सोमवार शाम को अनलॉक-2 के लिए गाइडलाइन जारी की। लॉकडाउन 31 जुलाई तक कंटेनमेंट जोन में लागू रहेगा। कंटेनमेंट जोन में केवल आवश्यक कामों की इजाजत रहेगी। केंद्र की नई गाइडलाइन के अनुसार, देशभर के स्कूल-कॉलेज 31 जुलाई तक बंद रहेंगे। रात के 10 बजे से लेकर सुबह के 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू रहेगा, इस दौरान लोगों की आवाजाही पर रोक रहेगी। जरूरी गतिविधियों और कुछ अन्य को इससे छूट दी गई है। केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार मेट्रो रेल, सिनेमा हॉल, जिम, स्विमिंग पूल आदि भी 31 जुलाई तक बंद रखने का फैसला किया गया है। ज्ञात रहे कि अनलॉक-1 की अवधि 30 जून को समाप्त हो रही है। इसी के साथ अनलॉक-2 का ऐलान किया गया है, जिसमें पाबंदियों के साथ कई गतिविधियों में छूट होगी। कंटेनमेंट जोन में सख्ती रहेगी जबकि कंटेनमेंट जोन से बाहर के इलाकों में छूट दी जाएगी। गृह मंत्रालय की नई गाइडलाइंस एक जुलाई से प्रभावी होंगी। अनलॉक-2 की गाइडलाइन राज्य, संघ शासित प्रदेश और केंद्र मंत्रालय व उसके विभागों से परामर्श के बाद जारी की गई हैं। अनलॉक-2 की गाइडलाइन के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों के ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट कंटेनमेंट जोन के बाहर खोले जा सकेंगे। 15 जुलाई से इन्‍हें खोलने की इजाजत होगी। स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर का पालन करना होगा। गाइडलाइन में राज्यों के लिए प्रावधान किया गया है कि वे कंटनेमेंट जोन के बाहर वैसे बफर जोन की पहचान कर सकते हैं, जहां कोरोना के केस बढ़ने की संभावना है। जिला प्रशासन ऐसी जगहों पर अनलॉक-2 में किसी भी तरह के सामाजिक, राजनीतिक, खेलकूद/अकादमिक/सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उनसे से जुड़े जमावड़े की अनुमति नहीं होगी। गाइडलाइंस के अनुसार, सार्वजनिक जगहों, कार्यस्थलों पर और परिवहन के इस्तेमाल के दौरान फेस कवर पहनना अनिवार्य है। उधर, महाराष्‍ट्र के बाद तमिलनाडु सरकार ने एलान किया कि लॉकडाउन 31 जुलाई तक बढ़ाया गया। चेन्नई और कांचीपुरम, चेंगलपट्टू और तिरुवल्लुवर समेत मदुरै और ग्रेटर चेन्नई पुलिस की सीमा में 5 जुलाई तक पूर्ण लॉकडाउन रहेगा।


Tuesday, 12 May 2020

आत्मनिर्भर भारत का  संकल्प 

कोरोना संकट ने परेशानी बढ़ाई है, लेकिन इसी के साथ अवसर भी प्रदान किया है। भारत अपनी संकल्प शक्ति से आगे बढ़ेगा। कोरोना संकट से मुक्त होगा। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता को गति देने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की। बीस लाख करोड़ रुपये का यह पैकेज भारत को मजबूत बनाएगा। पहले यह कल्पना भी मुश्किल थी कि दिल्ली से भेजा गया पूरा धन गरीबों तक पहुंचेगा। लेकिन पिछले दिनों हुए सुधारों ने इसे संभव बना दिया। आत्मबल से ही आत्मनिर्भरता आएगी। सप्लाई चेन मजबूत होगी। 
इन्हीं परिस्थियों में गरीबों के संयम को भी दुनिया ने देखा। इन्होंने बहुत कष्ट झेले है। अब इनके ताकतवर बनाया जाएगा। इन सबको आर्थिक पैकेज का लाभ मिलेगा। इस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बचाव के साथ विकास पर बल दिया। लॉक डाउन के नियमों के पालन का आह्वान किया। बताया कि लॉक डाउन का चौथा चरण नए रंग का होगा। भारत जब सर्वाधिक विकसित व समृद्ध था,तब भी हमने विश्व कल्याण की ही कामना की थी। हमारा आचरण इसी के अनुरूप रहा है। आज वैश्विक संकट के दौर में भी भारत इसी विरासत के अनुरूप आगे बढ़ रहा है। भारतीयों की संकल्प शक्ति प्रबल है। आज चाह व राह दोनों है। इसके बल पर भारत आत्म निर्भर बनेगा। इकोनॉमी, सन्फ्रास्टक्चर,सिस्टम,
डेमोग्राफी,डिमांड को भारतीय विचारों के अनुरूप कार्य करना आवश्यक है। अनेक देशों में बयालीस लाख लोग कोरोना से संक्रमित हुए। तीन लाख से अधिक लोगों के जीवन पर इसका कहर टूटा। यह अभूतपूर्व संकट है। लेकिन हारना,टूटना, बिखरना मंजूर नहीं है। अपना बचाव करते हुए आगे बढ़ना है। हमारा संकल्प इस संकट से विराट होगा। यह माना गया था कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी। यह हमारा सपना ही नहीं जिम्मेदारी भी है।
इसका मार्ग आत्मनिर्भर भारत है। राष्ट्र के रूप में हमको संकल्प लेना था।
अब प्रतिदिन दो लाख से पीपीआई किट्स व एन नाइंटिफाइव मास्क बनने लगे है। पहले इनकी संख्या नगण्य थी।
मानव केन्द्रित विकास की स्वीकार्यता बढ़ रही है।
भारत जब आत्मनिर्भर होने की बात करता है तो विश्व के कल्याण की भी चिंता रहती है। क्योंकि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की है। हम पृथ्वी को एक मानते है, उसे माता और अपने को उसका पुत्र, यह भाव ही विश्व कल्याण का मार्ग है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मानव कल्याण की प्रेरणा देता है। पर्यावरण के संरक्षण का सन्देश विश्व को भारत ने दिया। स्थानीय उत्पाद खरीदने चाहिए,उनके प्रयोग में गर्व का अनुभव करना चाहिए। खड़ी व हैंडलूम को अपना कर भारत के लोगों ने उदाहरण पेश किया है।


Thursday, 23 April 2020

भारत की प्रथम महिला और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की पत्नी इस जंग में आगे आई

भारत की प्रथम महिला और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की पत्नी सविता कोविंद भी कोरोना वायरस से जंग में आगे आई। सविता कोविंद ने जरूरत मंद लोगों के लिए खुद फेस मास्क सिल रही हैं। देश की पहली महिला नागरिक सविता कोविंद ने फेस मास्क बनाकर योगदान दिया है. प्रेसिडेंट एस्टेट की शक्ति हाट में उन्होंने मास्क सिलकर यही संदेश देने की कोशिश की है कि वैश्विकर और राष्ट्रीय चुनौती का सामान मिलकर ही किया जा सकता है. दिल्ली शहरी आश्रय विकास बोर्ड की ओर से चलने वाले आश्रय गृहों में शक्ति हाट से भी मास्क की आपूर्ति की जाती है.


Sunday, 19 April 2020

आन लाइन पेंटिंग मे किशोर बच्चों ने दिखाई अपने उंगलियों का हुनर

दिल्ली। प्यारे फाउंडेशन द्वारा एक ऑनलाइन ड्राईंग व पेन्टिंग की प्रतियोगिता करवाई गई। इस का विषय रखा गया कोरोना । इस आन लाइन प्रतियोगिता में
कुल प्रतिभागी 79 रहे। इनकी उम्र सीमा 07 से 14 वर्ष थी।इसमेंं जज अम्लेंदू कुमार थे जो लिमका बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर है। इस प्रतियोगिता की संयोजक थी कनुप्रिया। प्रतिभागियों ने बडा कुशल प्रदर्शन किया। इसके अध्यक्ष डॉक्टर अंजलि थपलियाल कौल ने कहा कि किशोरावस्था ज्ञान ग्रहण करने का प्राइमरी स्टेज होता है इसलिए ड्राइंग व पेंटिंग से उनके बुद्धि और जानकारियों का प्रभाव समझा गया है।


Thursday, 16 April 2020

कोरोना संकट: प्रधानमंत्री जी की अपील: मध्यम श्रेणी करदाता कहां जाएं!!

माननीय प्रधानमंत्री जी राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना महामारी के चलते लाॅकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया। माननीय प्रधानमंत्री की राष्ट्र के प्रति चिंता और जिम्मेदारी का हम स्वागत करते हैं और गर्व करते हैं कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री कितने संवेदनशीन है।
माननीय प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में उल्लेख किया कि उनको चिंता है कि देश की गरीब जनता भूखी न रहे इस बात का ध्यान रखना है। हम उनकी भावना को आदेश मानकर पूरा करने के लिए तत्पर है।

साथ ही छठे बिन्दु पर व्यापारियों से अपील की कि उनको देखना है कि कोई भी आप अपने व्यवसाय, अपने उद्योग में अपने साथ काम कर रहे लोगों के प्रति संवेदना रखें, किसी को नौकरी से न निकालें। माननीय की इस अपील के बारे में क्या कहा जाए, कुछ समझ में नहीं आ रहा है? वह हमारे देश के ऐसे प्रधानमंत्री में आते है जिनकी प्रत्येक भावना का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक अपना कत्र्तव्य मानता है लेकिन उनके इस अपील पर प्रश्न लग रहा है। क्योंकि अपने संबोधन में माननीय प्रधानमंत्री ने देश के व्यापारियों के प्रति कुछ भी नहीं कहा। जबकि आशा थी देश के व्यापारियों के प्रति कुछ न कुछ अवश्य कहेंगे। 

लेकिन यहां पर उनकी अपील पर एक प्रश्न उठ रहा है कि जब वैश्विक महामारी में भारत सरकार अपने देश के व्यापारियों को राहत देने के बारे में कोई बात नहीं कर रही है और न ही कोई प्रोत्साहन अथवा राहत देने के प्रति संवेदनशील नहीं हो पा रहा है तो यदि हम यह कहें कि जब देश की व्यापारिक गतिविधियों को बहुत बड़ा धक्का लगेगा और उनको अपने अस्तिव को बनाये रखने में मुश्किल का सामना करना पड़ेगा कि तो अपने कर्मचारियों के हित की सुरक्षा कैसे कर पाएंगे? क्योंकि शासन और प्रशासन लगातार देश के व्यापारियों पर शिंकजा कसता नजर आ रहा है। 
इस संकट के दौरान सरकार चाहती तो जीएसटी को और अधिक लोकप्रिय बना सकती है लेकिन संभवतः सरकार इस अवयर को गंवा रही है।
जब शासन ने यह मान लिया है कि देश की व्यापारीवर्ग इस लाॅकउाउन में सुरक्षित और सकुशल है आगे क्या कहा जाए। 
खैर हमको विश्वास था कि माननीय प्रधानमंत्री जी मध्यम वर्ग की राहत के लिए कुछ न कुछ अवश्य कहेंगे लेकिन निराशा ही हाथ लगी।


पराग सिंहल, प्रबंध संपादक
कर जानकारी (पाक्षिक), आगरा


ऑनलाइन कवि सम्मेलन

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आज पूरा विश्व कोरोना की मार झेल रहा है। सभी जगह लॉकडाउन जारी है। भारत में भी यह २१ दिनों के बाद अब और ३ मई तक बढ़ा दिया गया है। तो ज़ाहिर सी बात है कि सब घरों में ही रहेंगे।
अब यह सवाल उठता है कि आख़िर इतने दिन घरों में क्या किया जाए? तो ऐसी स्थिति में हिंदी प्रेमियों के मनोरंजन और सृजन को घर बैठे ही जारी रखने के उद्देश्य से हिंदी ग्राम संस्था डा० अर्पण जैन की ओर से बुधवार को ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसका संयोजन संस्था की संयोजिका और साहित्यकार भावना शर्मा जी ने किया। 
इसमें क़रीब २० दिल्ली के रचनाकारों ने भाग लिया। सभी ने वीडियो द्वारा अपनी रचना का पाठ किया। इस एक घंटे के कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक रचनाएँ शामिल हुईं। जिसमें मुझे ‘नूतन गर्ग’ को भी शिरकत करने का अवसर प्राप्त हुआ। भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम होते रहें ताकि लॉकडाउन का पता ही न चले और हम सब घरों में रहते हुए सुरक्षित रहें।

मौलिक विचार 
नूतन गर्ग (दिल्ली)


Tuesday, 14 April 2020

सप्तपदी से परास्त होगा कोरोना

आज डॉ आंबेडकर जयंती पर नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होने संविधान की प्रस्तावना के पहले शब्द का उल्लेख किया-हम भारत के लोग,,। मोदी ने इनके संयम को प्रशंसनीय बताया। सप्तपदी पर अमल का आह्वान किया। कहा कि सप्तपदी से कोरोना परास्त होगा।
जनसहयोग से कोरोना का प्रकोप कम हुआ। भारत ने इसके लिए जो मार्ग चुना, उंसकी प्रशंसा दुनिया में हो रही है। फिर भी अभी कोरोना को पूरी तरह हराना शेष है। इसलिए लॉक डाउन को बढ़ाने की आवश्यकता है। इसलिए भारत में लॉक डाउन को तीन मई तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब इसका पहले के मुकाबले ज्यादा कड़ाई से पालन होगा। यह परीक्षा है। जहाँ सुधार होगा, वहां बीस मई के बाद सशर्त व सीमित छूट मिल सकती है। लेकिन लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। सरकार इसके लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। मोदी ने गरीबों को अपना वृहत परिवार बताया। गाइडलाइन में इनपर फोकस होगा। किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। दवा अनाज का पर्याप्त भंडार है। इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। कोरोना के मद्देनजर एक लाख बेड व छह सौ विशेष अस्पताल सक्रिय है। कोरोना को नए क्षेत्रों में फैलने से रोकना है।  लोगों ने कष्ट सहकर कोरोना का मुकाबला किया। अनेक सस्याओं का सामना करते हुए लोगों ने आत्मसंयम का परिचय दिया। यह डॉ अंबेडकर के प्रति सच्चा सम्मान है।
योगी ने भारत के उत्सवों का भी उल्लेख किया। वैशाखी, फसल कटाई के उत्सव,नव वर्ष के उत्सव है। फिर भी लोग  संयम  से विचलित नहीं हुए।
विश्व को भारत ने अपने आचरण से सन्देश दिया है। कोरोना की आहट के साथ ही भारत ने तैयारी शुरू कर दी थी। इसके मुकाबले की तैयारी शुरू कर दिया। समस्या बढ़ने का इंतजार नहीं किया। पीड़ितों की संख्या पांच सौ थी तब इक्कीस दिन का लॉक डाउन शुरू हो गया था। आज भारत की तुलना में अन्य देशों में कोरोना का पच्चीस प्रतिशत प्रकोप बढा है। तेज फैसलों और जन सहयोग का हमारा रास्ता सही था।
आर्थिक दृष्टि से बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। लेकिन भारतीयों का जीवन अमूल्य है। मोदी ने युवा वैज्ञानिकों का वैक्सीन शोध का आह्वान किया। मोदी ने साथ नियमों के पालन का आह्वान किया। इसके तहत अपने घर के बुजुर्गों का ध्यान,लॉक डाउन की लक्षण रेखा का पालन, घर में बने मास्क का प्रयोग,आयुष नियम का पालन आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड करें
गरीब परिवारों की
व्यवसाय में काम करने वालों के प्रति संवेदना
कोरोना सेनानियों के सम्मान करना शामिल है।


मोदी ने दी पंचतीर्थों को भव्यता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक समरसता के अनेक केंद्रों को उनकी गरिमा के अनुकूल प्रति ष्ठा प्रदान की है। ये सभी कार्य कई दशक पहले हो जाने चाहिए थे। मोदी भी इस ओर ध्यान न देते तो कोई उन्हें दोष देने वाला नहीं था, क्योंकि किसी भी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए अपने इस दायित्व का निर्वाह नहीं किया था।
नरेंद्र मोदी ने डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के जीवन से जुड़े पांच स्थानों को भव्य स्मारक का रूप प्रदान किया। इसमे लंदन स्थित आवास, उनके जनस्थान, दीक्षा स्थल, इंदुमिल मुम्बई और नई दिल्ली का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान शामिल हैं। यह अपने ढंग का अद्भुत संस्थान है, जिसमें एक ही छत के नीचे डॉ आंबेडकर के जीवन को आधुनिक तकनीक के माध्यम से देखा-समझा जा सकता है। इसकी कल्पना अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी और इसे पूरा नरेंद्र मोदी ने किया। मोदी की पहल पर डॉ. भीमराव अम्बेडकर का लंदन स्थित  तीन मंजिला बंगला खरीदा गया, जिसमें वह उन्नीस सौ बीस के दशक में एक छात्र के तौर पर रहे थे। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने इस बंगले की कीमत दी थी। इस मकान को एक अंतरराष्ट्रीय स्मारक में तब्दील कर दिया गया है। इसे शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया। यह कार्य मोदी ने पिछली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू कर दिया था। दो हजार पन्द्रह में उन्होने महाराष्ट्र में अम्बेडकर स्मारक की आधारशिला रखी थी। इसको भव्य रूप प्रदान किया गया। दो हजार सत्रह में मोदी ने नयी दिल्ली में बी आर अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र का उद्घाटन किया था। डीएआईसी में डॉ. अम्बेडकर सेंटर फार सोशियोनइकोनामिक ट्रासफोर्मेशन केंद्र भी है  यह सामाजिक और आर्थिक अध्ययन के क्षेत्र में अनुसंधान का एक बेहतरीन केंद्र है। विशेषज्ञ थिंक टैंक के रूप में भी काम करेगा। जिसमे समावेशी विकास और सामाजिक आर्थिक मामलों पर ध्यान दिया जा रहा है। मोदी के प्रयासों से इसे रिकार्ड समय में तैयार किया गया था।


Sunday, 12 April 2020

सबका साथ सबका ध्यान

कोरोना से मुकाबले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है। उनके  द्वारा उठाये गए कदमों का अनेक देश तुरंत अनुकरण करते है। जनता कर्फ्यू, ताली ताली नाद,दीप मोमबत्ती प्रकाश आदि के समय यह नजारा विश्व में दिखाई दिया था। इसी क्रम में मोदी सरकार ने भारी आर्थिक पैकेज भी लागू किया था। यदि इन सभी प्रयासों को देखें तो स्पष्ट होता है कि मोदी सबका साथ और सबका ध्यान नीति पर अमल कर रहे है। उनके प्रत्येक कदम सबको साथ लेकर चलने के लिए ही उठ रहे है। जनता कर्फ्यू से इसकी शुरुआत हुई थी। इन सभी माध्यमों से वह सभी का ध्यान रख रहे है। उनका प्रयास है कि सभी लोग अपने घरों में सुरक्षित रहे।इसके अलावा वह विपक्ष के नेताओं से वार्ता कर चुके है। सभी मुख्यमंत्रियों से उंन्होने दूसरी बार वीडियो कांफ्रेसिंग वार्ता की है। मोदी की यह मीटिंग मुख्यमंत्रियों के साथ थी। लेकिन वह आमजन को भी बड़ा सन्देश दे रहे थे। मोदी ने अपने मुंह पर गमछा लपेटा था। इस तरह उंन्होने कोरोना से बचाव का सन्देश दिया। वह कोरोना के सेकेंड से थर्ड स्टेज से पहले बचाव प्रयासों को प्रभावी बनाना चाहते है। लॉक डाउन को फिलहाल जारी रखने का अन्य कोई विकल्प शायद नहीं है। नरेंद्र मोदी ने इस संबद्ध में राज्यों को बताया भी था। बैठक में ज्यादातर मुख्यमंत्री देश में एक बार लॉकडाउन बढ़ाने पर सहमत दिखे। मोदी ने इस सम्बंध में राज्यों से विचार देने को कहा था। कोरोना के खिलाफ जंग में सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा मास्क बहुत उपयोगी है। मोदी ने तीन दिन पहले लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा था कि कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन एक बार में नहीं हटाया जाएगा। हर व्यक्ति के जीवन को बचाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राज्य, जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने वायरस को फैलने से रोकने के लिये लॉकडाउन को बढ़ाने का सुझाव दिया है।


Saturday, 11 April 2020

सही जानकारी रखने से ही कोरोना को हरा पाना संभव, खुद बचें औरों को भी बचाएं

नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार और स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह अलर्ट हैं ऐसे में कोरोना को लेकर समाज में फैल रहीं तरह-तरह की भ्रांतियों और मिथकों को दूर करना भी बहुत ही जरूरी हो जाता है । इन मिथकों व भ्रांतियों पर विराम लगाकर ही कोरोना से पार पाना संभव है । इसी को ध्यान में रखकर सोशल मीडिया के जरिये सामने आ रहे सवालों का विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उचित समाधान सुझाया है ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई सही दिशा में ही आगे बढ़ सके ।
इन्हीं मिथकों के जरिये एक सवाल सामने आया कि- सुना है कि मच्छरों के काटने से भी कोरोना हो सकता है तो इसके जवाब में डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया कि ऐसा कदापि नहीं है। नया कोरोना वायरस मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है । इसी तरह बालों को हेयर ड्रायर से सुखाने से कोरोना के खत्म हो जाने की भ्रांतियों पर कहना है कि ऐसा करना कतई प्रभावी नहीं है । शरीर पर अल्कोहल या क्लोरिन के छिड़काव से कोरोना वायरस को खतम करने के मिथक पर विराम लगाते हुए कहना है कि अल्कोहल और क्लोरिन के छिड़काव से वायरस को नहीं रोका जा सकता क्योंकि वह शरीर के अंदर प्रवेश कर संक्रमित करता है ।
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युवाओं को कोरोना का खतरा नहीं, महज एक भ्रम
समाज में इसी तरह से कुछ युवाओं का यह कहना कि वह तो जवान हैं उन्हें कोरोना होने का कोई सवाल ही नहीं उठता । उनका यह सोचना महज एक भ्रम है क्योंकि अपने ही देश में कई ऐसे केस आये सामने आये हैं जिनकी उम्र 20 से 30 साल के बीच है । कोरोना वायरस किसी भी आयु वर्ग को अपनी चपेट में ले सकता है । इतना जरूर है कि जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, उन्हें इसका खतरा कम रहता है।
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गर्मी-ठंडी का कोरोना से कोई लेना-देना नहीं 
इन्हीं मिथकों के बीच सामने आया कि गर्मी के चलते कोरोना नहीं फैलता तो एक ने सवाल किया कि मैं गर्म स्थान पर रहता हूँ तो क्या मैं कोरोना के वायरस से सुरक्षित हूँ तो स्पष्ट किया गया कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि गरम या उमस वाले स्थान पर रहने से कोरोना से बचा जा सकता है । इसके साथ ही सवाल पैदा हुआ कि क्या ठन्डे स्थान पर रहने से कोरोना से बचा जा सकता तो साफ़ किया गया कि ऐसा भी नहीं है कि ठन्डे या बर्फीले क्षेत्र में रहकर कोरोना से बचा जा सकता है । इसके अलावा गरम पानी से नहाने से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने की भ्रान्ति को भी पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया गया है कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, यह महज एक भ्रान्ति है ।
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अन्य मिथक 
यह भी मिथक सामने आया कि अधिक लहसुन खाने से कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं होता जिसको सिर्फ और सिर्फ निराधार बताया गया है क्योंकि उसका वैज्ञानिक आधार सामने नहीं आता है । इसी प्रकार एक भ्रान्ति यह भी सुनने में आई कि लगातार नाक को नमक और पानी के घोल से धोने से कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं जो कि किसी भी पैमाने पर खरी नहीं उतरी और इसे भी महज एक भ्रान्ति के खाते में डाल दिया गया ।  
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बरतें सावधानी
-हाथ को बार-बार साबुन-पानी से 40 सेकेंड तक धोएं।
-बार-बार अपना चेहरा, नाक या मुंह न छुएं
-अतिथियों को न आमंत्रित करें और न किसी के घर मिलने जाएं
-आपस में बातचीत करते समय कम से कम एक मीटर की दूरी रखें
-खांसते या छींकते समय साफ़ रुमाल या टिश्यु पेपर का इस्तेमाल करें,  टिश्यु को कूड़ेदान में ही फेंकें और रुमाल को अच्छी तरह से धोकर ही पुन: इस्तेमाल करें।
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कोरोना के बारे में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश  - 1800-180-5145  
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय- 011- 23978046
टोल फ्री नंबर- 1075


Monday, 30 March 2020

COVID-19 अपडेट: पीपीई किट, N95 मास्क और वेंटिलेटर की उपलब्धता

नई दिल्ली। देश में COVID-19 की रोकथाम, रोकथाम और प्रबंधन की उच्चतम स्तर पर निगरानी की जा रही है और राज्यों के सहयोग से विभिन्न कार्रवाई शुरू की गई है।  पीपीई, मास्क और वेंटिलेटर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले कारखाने चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और अध्यादेश के कारखाने चिकित्सा कर्मियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं।  जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड वेंटिलेटर का निर्माण करने जा रहा है, सभी दवा कंपनियों ने सरकार को आश्वासन दिया है कि इस संकट के दौरान दवाओं की कोई कमी नहीं होगी और यहां तक ​​कि ऑटो निर्माता भी वेंटिलेटर विकसित करने और उत्पादन करने के लिए काम कर रहे हैं।  चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है और किसी भी आपात स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार हैं।


व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट का उपयोग अलगाव क्षेत्रों और गहन देखभाल इकाइयों में काम करने वाले चिकित्सा कर्मियों द्वारा किया जाता है ताकि उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके।  वे देश में निर्मित नहीं हो रहे थे।  निकट भविष्य में उत्पन्न होने वाले पीपीई की भारी आवश्यकता की संभावना के साथ, भारत सरकार ने देश में उनके विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय प्रयास किए।


कपड़ा मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस प्रयास में एक साथ काम कर रहे हैं।  घरेलू निर्माता इस अवसर पर पहुंचे और अब तक 11 निर्माताओं ने गुणवत्ता परीक्षण को मंजूरी दे दी है।  उन पर 21 लाख पीपीई कवरल के ऑर्डर रखे गए हैं।  वर्तमान में वे प्रति दिन 6-7,000 कवरॉल की आपूर्ति कर रहे हैं और यह अगले सप्ताह के भीतर प्रति दिन 15,000 तक जाने की उम्मीद है।  एक और निर्माता ने आज अर्हता प्राप्त की है और उसके साथ 5 लाख कवरॉल का ऑर्डर दिया गया है।


अब तक, देश भर के विभिन्न अस्पतालों में 3.34 लाख पीपीई उपलब्ध हैं।  भारत सरकार द्वारा लगभग 60,000 पीपीई किट पहले ही खरीद और आपूर्ति की जा चुकी है।  भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी ने चीन से 10,000 पीपीई की व्यवस्था की है जो प्राप्त भी हुए हैं और वितरित किए जा रहे हैं।  4 अप्रैल तक अन्य 3 लाख दान किए गए पीपीई कवरल आने हैं।  3 लाख पीपीई के लिए एक आदेश हथियारो कारखानों के साथ रखा गया है।


पीपीई किट के विदेशी स्रोतों को भी दुनिया भर में मांग में भारी वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।  विदेश मंत्रालय के माध्यम से उनसे संपर्क किया जा रहा है।  सिंगापुर स्थित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की पहचान की गई है जो 10 लाख पीपीई किट की आपूर्ति कर सकता है और उन्हें खरीदने के लिए विदेश मंत्रालय के माध्यम से एक आदेश दिया गया है।  कोरिया में स्थित एक और आपूर्तिकर्ता, जिसकी वियतनाम और तुर्की में उत्पादन कंपनियों के साथ टाई अप है, को 1 लाख से अधिक पीपीई किटों की दैनिक उत्पादन क्षमता के साथ पहचाना गया है। इस कंपनी पर 20 लाख पीपीई किटों की आपूर्ति के लिए विदेश मंत्रालय के माध्यम से आदेश दिए गए हैं।


N95 मास्क का निर्माण दो घरेलू उत्पादकों द्वारा किया जा रहा है।  वे इस समय प्रति दिन 50,000 मास्क की आपूर्ति करने में सक्षम हैं, लेकिन अगले सप्ताह के भीतर प्रति दिन 1 लाख मास्क बनाने की क्षमता बढ़ा रहे हैं।  DRDO स्थानीय निर्माताओं के साथ मिलकर प्रति दिन लगभग 20,000 N99 मास्क का उत्पादन कर रहा है।  यह आपूर्ति एक सप्ताह के समय में उपलब्ध होने की भी उम्मीद है।


देश के अस्पतालों में अब तक स्टॉक में 11.95 लाख एन 95 मास्क हैं।  पिछले दो दिनों में अतिरिक्त 5 लाख मास्क वितरित किए गए और 1.40 लाख मास्क आज वितरित किए जा रहे हैं।  सिंगापुर से 10 लाख मास्क पीपीई किट का हिस्सा होंगे।


कोविद -19 रोगियों के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है, क्योंकि वे तीव्र श्वसन रोग सिंड्रोम (एआरडीएस) विकसित करते हैं।  इस समय 20 कोविद -19 से कम मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।  इसके विपरीत, कोविद -19 रोगियों के उपचार के लिए देश भर के विभिन्न अस्पतालों में 14,000 से अधिक वेंटिलेटर की पहचान की गई है।


नोएडा में एक घरेलू निर्माता एगा हेल्थकेयर उपयुक्त वेंटिलेटर विकसित करने में सक्षम है और उस पर 10,000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया गया है। अप्रैल के 2 वें सप्ताह तक आपूर्ति शुरू होने की उम्मीद है।  इसके अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड पर 30,000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया गया है, जो इस प्रयास में घरेलू निर्माताओं के साथ सहयोग करने जा रहा है।  भारतीय ऑटो निर्माता भी वेंटिलेटर बनाने की तैयारी कर रहे हैं।


इस बीच, वेंटिलेटर की आपूर्ति करने के लिए हैमिल्टन, माइंड्रे और ड्रेगर जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर आदेश दिए गए हैं।  विदेश मंत्रालय भी उनसे 10,000 वेंटिलेटर की सोर्सिंग के लिए चीन में सप्लायर्स के पास पहुंच रहा है।


उमेश प्रताप सिंह और रवि अग्रवाल ने पेश की मानवता की मिसाल

सरताज आलम शोहरतगढ़़/सिद्धार्थनगर।           हैदराबाद के दर्शनार्थियों को विदा करते हुए           समाजसेवी उमेश प्रताप सिंह व अन्य लोग। हैदरा...